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२५०. पत्र : डा० चिमनदास जगतियानीको

२७ जुलाई, १९२४

प्रिय चिमनदास,

आपका पत्र मिला । 'यंग इंडिया' में मैंने बताया है कि राष्ट्रकी खातिर आधा घंटा चरखा चलाकर कता हुआ सूत कांग्रेसको भेजना क्यों जरूरी है । आपने यह सब पढ़ लिया होगा । आप अपने लिए तो कातें ही, लेकिन राष्ट्रके लिए कातना तो निहायत जरूरी है ।

मेरे स्वास्थ्यकी चिन्ता न करें ।

आपका,
मो० क० गांधी

डा० चिमनदास
निहारजंगो पीर
हैदराबाद (सिंध)
[ अंग्रेजीसे ]
महादेव देसाईकी हस्तलिखित डायरीसे ।
सौजन्य : नारायण देसाई

२५१. पत्र : कुमारी एमिली हॉबहाउसको

साबरमती
२७ जुलाई, १९२४

प्रिय कुमारी हॉबहाउस,[१]

मित्रोंने आपका ८ दिसम्बरका पत्र सुरक्षित रखा था । उस पत्रको पाकर तो ऐसा लगा मानो मैं आपसे प्रत्यक्ष भेंट कर रहा हूँ । कुमारी ऐडम्ससे मुलाकात कभी नहीं हुई ।

जेलमें मैं बिलकुल प्रसन्न रहा । जितनी पुस्तकें चाहता था, मिल जाती थीं, शर्त सिर्फ यह थी कि वे राजनीतिसे सम्बन्धित न हों ।

  1. १. उदार विचारोंकी एक अंग्रेज महिला, जिनको चर्चा गांधीजीने आत्मकथा में भी की है।