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पत्र : डा० सत्यपालको

होती थी । मैं जानता हूँ मेरे हृदयमें उनके प्रति श्रद्धा थी और वे भी मुझे नापसन्द नहीं करते थे; बल्कि जहाँ-कहीं बन पड़ता, मेरी सहायता ही करते थे ।

आपका,
मो० क० गांधी

बाबू भगवानदासजी
सेवाश्रम, सिगरा
बनारस कैंट
[ अंग्रेजीसे ]
महादेव देसाईकी हस्तलिखित डायरी से ।
सौजन्य : नारायण देसाई

२४९. पत्र : डा० सत्यपालको

२७ जुलाई, १९२४

प्रिय डा० सत्यपाल,

आपका पत्र मिला । दिल्लीके सम्बन्धमें जो कुछ सम्भव है, वह मैं कर रहा हूँ। शरीरकी कमजोरी दिल्ली आनेमें आड़े आ रही है, अगर सदस्यगण कातनेको तैयार नहीं हैं और इसीलिए त्यागपत्र देते हैं तो उनका त्यागपत्र दे देना ही ठीक है । अगर कांग्रेसी लोगोंका कताईमें विश्वास है तो उन्हें कातना ही होगा; और अगर वे कताई में विश्वास नहीं करते हैं तो फिर हम कांग्रेस कार्यक्रमसे खादीको हटा दें । जहाँतक किसानोंकी बात है, वे अग्नि परीक्षासे गुजरने को तैयार हों तो उनके लिए बहुत-कुछ किया जा सकता है ।

आपका,
मो० क० गांधी

डा० सत्यपाल
ब्रेडलॉ हॉल
लाहौर
[ अंग्रेजी से ]
महादेव देसाईकी हस्तलिखित डायरीसे ।
सौजन्य : नारायण देसाई