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२५९. तार : त्रिवेन्द्रम् कांग्रेस सहायता समिति के अध्यक्षको

[ ३० जुलाई, १९२४ या उसके पश्चात् ][१]

अध्यक्ष कांग्रेस सहायता समिति
त्रिवेन्द्रम्

इस क्षतिको पूरा करना कांग्रेसकी शक्ति से बाहर । मेरी सलाह है कि जहाँ सम्भव हो सरकारी संगठनोंको सहयोग दें । अन्यथा चुपचाप और व्यक्तिगत रूपसे निजी सहायता करना सबसे अच्छा। ऐसी सहायता दी जानी चाहिए।

गांधी

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ९००५ ) की फोटो-नकलसे |

२६०. वर्णाश्रमके सम्बन्धमें कुछ और[२]

मेरी एक महिला मित्रने, जिनके पत्रका कुछ अंश मैंने अपनी टिप्पणी के साथ दिनांक १७ के अंकमें उद्धृत किया था, शिकायत की है कि मैंने उनके पत्रका अंश-मात्र उद्धृत करके तथा उसका वह अंश, जो मेरे तर्ककी दृष्टिसे असुविधाजनक था, छोड़कर उनके साथ न्याय नहीं किया है। उन्होंने मुझसे सरोष कहा है कि मैं उनका पूरा पत्र उद्धृत करूँ। चूंकि पूरा पत्र न छापने का जो कारण उन्होंने बताया है वह कारण मेरे मनमें कदापि नहीं था इसलिए इस अंक में मैं उनका पूरा पत्र और उसपर अपनी आलोचनाके सम्बन्धमें उनकी टीका भी पाठकों के समक्ष सहर्ष प्रस्तुत करता हूँ। मेरी इच्छा इस मामलेमें और आगे बहस में पड़नेकी नहीं है, इसलिए मैंने उनसे कह दिया है कि इस सम्बन्धमें उनकी इस आलोचनाके बाद अन्य कुछ नहीं छापा जायेगा ।

[ अंग्रेजी से ]
यंग इंडिया, ३१-७-१९२४
  1. १. यह त्रिवेन्द्रम् कांग्रेस कमेटीके मन्त्रीके ३० जुलाईके तारके उत्तर में भेजा गया था। उसमें सूचित किया गया था कि केरलमें भयंकर बाढ़ के कारण भारी क्षति हुई है, अकाल पड़ गया है और कांग्रेस सहायता कार्यका संगठन कर रही है। इसके लिए केन्द्रीय कांग्रेससे सहायता मांगी गई थी।
  2. २. देखिए " वर्णाश्रम या वर्णसंकर ?”, १७-७-१९२४ ।