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तार : मुहम्मद अलीको

१. गन्दे कपड़े धोकर और तह करके ले जायें।
२. फटे कपड़े सीकर और तह करके दें।
३. कपड़े अच्छी तरह बंडल बनाकर और पार्सलोंके रूपमें सीकर भेजे जायें और साथमें कपड़ोंकी सूची और दाताका नाम भी हो ।

उनकी स्वीकृति इन स्तम्भों में अलग-अलग प्रकाशित नहीं की जायेगी । लेकिन दानकर्त्ता कपड़ा लेनेवाले कार्यालयको रसीद लेकर ही कपड़े दें तो अच्छा हो । उन्हें आगाह करना चाहता हूँ कि जबतक रुपयों या सामानकी बाकायदा रसीद न मिल जाये और उगाहनेवाले उनकी जान-पहचान के न हों तो किसीको कोई चीज न दें ।

वैसे मुझे 'नवजीवन' और 'यंग इंडिया' के कार्यालयोंमें चन्देके रूपमें पैसा, आभूषण और कपड़ा प्राप्त करके गौरवका अनुभव होता है; फिर भी में पाठकोंको बता देना चाहता हूँ कि वे चन्दा किस केन्द्रमें देते हैं, इसकी फिक्र न करें। वे जहाँ चाहें, वहाँ दे सकते हैं। उनका कर्त्तव्य तो देने भरसे पूरा हो जाता है । आज दक्षिण भारत जिस भयंकर विपत्तिके दौरसे गुजर रहा है, उसमें सहयोगियों और असह्योगियों-का भेद भी नहीं किया जाना चाहिए। जहाँतक मेरे पास भेजे जानेवाले चन्दोंका सम्बन्ध है, मैं उनके वितरणका अच्छेसे अच्छा तरीका ढूंढ़ निकालनेके लिए श्री वल्लभभाईके साथ परामर्श कर रहा हूँ; और श्री राजगोपालाचारीसे पत्र व्यवहार कर रहा हूँ; लेकिन मुझे तार भेजनेवाले लोग अगर अपने सुझाव भी भेजें तो मैं आभारी होऊँगा ।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, १४-८-१९२४

३२५. तार : मुहम्मद अलीको

[ साबरमती
१५ अगस्त, १९२४ ][१]

आज रातको शौकत अलीसे मिलनेका इरादा और कल सुबह छोटी लाइनसे रवानगी । मशीनें अभीतक नहीं भेजी गई हैं। सूची भेजनेको स्वामीको लिख रहा हूँ । आशा है बी-अम्मा अच्छी होंगी ।

गांधी

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १०११५) की फोटो - नकलसे ।

  1. १. यह मुहम्मद अलोके निम्नलिखित उस तारके उत्तरमें भेजा गया था जा गांधीजीको १५ अगस्त, १९२४ को मिला था : “१५ तारीखको सुबहकी डाक गाड़ीसे रवाना हो सकें तो बड़ी मेहरबानी । यह मुमकिन न हो तो बड़ी लाइनसे बड़ौदा होकर । समझौता आपके आनेसे सम्भव । रवानगीका तार दें ।