पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 25.pdf/२३४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

१३४. तार: 'आउट लुक को[१]

[१९ सितम्बर, १९२४ या उसके पश्चात्]

आउट लुक
लाहौर

तारके लिए धन्यवाद। [प्रचार-संघर्ष में] अस्थायी विराम समस्याका पूरा समाधान नहीं। आवश्यकता इस बातकी है कि हिन्दुओं और मुसलमानों दोनोंके अखबारोंमें से अतिशयोक्ति, मिथ्या प्रचार तथा उत्तेजनाका विष जड़ से समाप्त हो। मैं पैबन्द लगी कृत्रिम एकताके लिए नहीं बल्कि हृदयोंकी एकता के लिए जीना चाहता हूँ। इसलिए आपसे अनुरोध है कि अपना प्रयत्न उसी एकताकी सिद्धिमें लगायें।

गांधी

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १०४९३) की माइक्रोफिल्मसे।

१३५. टिप्पणियाँ

२० सितम्बर, १९२४

कताईमें मासिक बढ़ती

कातनेवालोंकी संख्या २,७८० से बढ़कर एक महीनेमें ही ४,९०८ तक पहुँच जाना कोई बुरी प्रगति नहीं है। पाठक इस बातपर गौर करें कि सदस्यों और गैरसदस्यों, दोनोंकी संख्या में काफी बढ़ती हुई है। गुजरातका नम्बर अब भी अव्वल ही है। लेकिन आन्ध्र इस दौड़में उसके बिलकुल पीछे लगा हुआ है। कर्नाटकका ४१ से एकदम कूदकर ३६२ तक जाना और तमिलनाडुका ९० से ४५६ तक पहुँच जाना बहुत उत्साहवर्द्धक है। इस साल कर्नाटकको कांग्रेसका अधिवेशन अपने यहाँ करनेका गौरव प्राप्त होने जा रहा है, इसलिए वस्तुतः उसे तो अव्वल नम्बरपर ही होना चाहिए। इस महीनेका अभी और सूत आना बाकी है। उससे तो वृद्धि और भी अधिक स्पष्ट प्रतीत होगी। यदि इसी तरह प्रगति होती रहेगी तो बहुत जल्द कातनेवालों की

  1. यह आउट लुककी ओरसे १९ सितम्बर, १९२४ या उसके पश्चात् भेने गये तारके उत्तर में भेजा गया था। इस तारमें गांधीजीको यह सूचित करते हुए कि हिन्दुओं और मुसलमानों दोनोंके अखबारोंने एक सप्ताहतक एक-दूसरेके विरुद्ध प्रचारका अभियान बन्द रखनेका निर्णय किया है, उनसे प्रोत्साहनका सन्देश माँगा गया था ।