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भाषण: अ० भा० कांग्रेस कमेटी, बम्बईमें

मुझे एक रियायत देनी पड़ी। मेरा विश्वास है कि स्वराज्यवादियोंका जिस प्रकार कौंसिल-प्रवेश एक कार्यक्रम है, उसी प्रकार कताई भी उनके कार्यक्रमका अंग होना चाहिए; और हमें मताधिकारमें "खद्दर" और चरखेकी शर्त शामिल करनी चाहिए। यह एक सर्वथा नया विचार है। मैं ऐसा नहीं मानता कि चरखेसे भारतको कोई बहुत ठोस चीज मिल जायेगी। लेकिन क्या चरखा चलाना कोई पाप है? तथापि मैं ऐसा मानता हूँ कि सिर्फ इसी मुद्देपर संगठनको विभाजित कर देना हमारे लिए गलत होगा। मुझे चरखेसे प्रेम है, लेकिन हमारे ऐसे देश भाई भी हैं जिन्हें सूत कातना सचमुच पसन्द नहीं है। उन्हींके लिए मैं कताई-सदस्यताके मामलेमें झुका हूँ। इसीलिए कुछ अनिच्छुक स्वराज्यवादियोंकी बात रखनेके लिए मुझे कताई सदस्यताके प्रश्नपर वैसी रियायत करनेमें कोई हिचक नहीं हुई। मैं सदस्यताके लिए कताईकी इस शर्तको कांग्रेस में एक जीवन्त चीज बना देना चाहता हूँ। मैं उसे स्वराज्यवादियोंकी सहायतासे सफल बनाना चाहता हूँ। ऐसा कहनेमें मुझे कोई हिचक नहीं है। इसके लिए उत्साहकी जरूरत है, इसके लिए लगनकी जरूरत है। मेरा ऐसा ही खयाल है। जहाँतक अपरिवर्तनवादियोंका सम्बन्ध है, मैं सोचता हूँ कि वे मेरे कियेपर व्यर्थ ही आपत्ति नहीं करेंगे---जो कुछ मैंने किया है उसका समर्थन करनेको वे अनिच्छुक नहीं होंगे। वे ऐसा नहीं मानेंगे कि इस समझौतेसे किसी अनिष्टकी सम्भावना है। अपरिवर्तनवादी और स्वराज्यवादी, आप सभीको मैं समझौतेमें उल्लिखित कताई-सदस्यताको स्वीकार करनेकी दावत देता हूँ। मेरी अपील अपरिवर्तनवादियोंसे है और उतनी ही स्वराज्यवादियोंसे भी। मैं आपसे कहूँगा कि कताई-सदस्यता सम्बन्धी प्रस्तावको आप अस्वीकृत न करें। और कुछ नहीं तो अनुशासनकी खातिर ही तथा एक सिद्धान्त के रूपमें इसे स्वीकार कर लीजिए।

मैंने इस भावनाके साथ यह समझौता किया है, कि हम इस समझौते की हर धाराको पूरी तरह सफल बनाना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि अपने इस रथको आगे बढ़ानेमें हम अपना पूरा-पूरा जोर लगा दें और देखें कि अगले १२ महीनोंमें हम स्वराज्यको अपनी पकड़में न भी ला सकें तो भी कुछ और करीब ला सकते हैं या नहीं। अगर कांग्रेसके सभी दल कन्धेसे-कन्धा मिलाकर काम करें तो मुझे यह सोचनेमें कोई हिचक नहीं है कि स्वराज्य दूर नहीं है। अगर हम अनुशासनकी खातिर हृदयसे इस समझौते पर अमल करें तो स्वराज्य बहुत निकट होगा। यदि आप अनुशासनकी खातिर भी इस समझौतेपर अमल नहीं कर सकते, यदि आप इस समझौते की प्रत्येक पंक्तिको स्वीकार और उसपर अमल नहीं कर सकते तो विश्वास कीजिए कि देश के लिए ज्यादा अच्छा यही होगा कि इसके पहले कि देशके विश्वस्त नेता लोग उस समझौते को तैयार करें, आप उसे अस्वीकृत कर दें। अगर आप सोचते हैं कि आप स्वराज्यके योग्य हैं तो समझौतेको स्वीकार कर लीजिए, अन्यथा अस्वीकृत कर दीजिए। यदि वह आपकी बुद्धिको नहीं जँचता हो तो उसे अस्वीकृत कर दीजिए। मैं आपकी भावनाको छूकर अपनी बात नहीं मनवाना चाहता। मैं आपकी बुद्धिपर ही निर्णय छोड़ना चाहता हूँ।