पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 25.pdf/४१४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

३०४. भाषण: शोक सभामें[१]

बम्बई
२३ नवम्बर, १९२४

महात्मा गांधीने तब गुजरातीमें भाषण दिया। आरम्भमें ही उन्होंने खड़े होकर न बोलनेके लिए श्रोताओंसे क्षमा माँगी। उन्होंने कहा कि कमजोरीके कारण खड़े होकर बोलना मेरे लिए सम्भव नहीं है। इसके सिवा मेरी आवाज भी अब वैसी नहीं है जैसी कि तीन साल पहले थी और यदि आपको मेरी बात सुननेमें कोई कठिनाई हो तो आप मुझे माफ करें।

बी-अम्माँका जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि दुनियामें जब कोई बड़ा व्यक्ति मरता है तो हम आम तौरपर ऐसी ही सभाएँ करते हैं जैसी कि आज शाम कर रहे हैं और अपना दुख प्रकट करते हैं। मैं नहीं समझता कि बी-अम्माँकी मृत्युपर इस प्रकार दुख व्यक्त करनेकी जरूरत है या अली भाइयोंको किसीकी सहानुभूतिकी जरूरत है। बी-अम्माँकी मृत्यु तो ऐसी पवित्र थी कि मेरी समझमें हम सबको ऐसी ही मृत्युकी कामना करनी चाहिए। उनके कर्म अच्छे थे और मनुष्य तथा ईश्वर दोनोंको स्वीकार्य थे। उन्होंने अपना जीवन ईश्वर और उसके बन्दोंके लिए अर्पित कर दिया था और आजादीकी लड़ाई लड़नेके लिए भारतको उन्होंने अपने दो बहादुर बेटे दिये। अतः बी-अम्माँ मरकर भी अपने कार्योंके रूपमें जीवित हैं। यह सौभाग्यकी बात है कि मनुष्योंके दुष्कृत्य भुला दिये जाते हैं और उनका अनुकरण नहीं किया जाता, लेकिन अच्छे कार्योंको याद रखा जाता है और उनका अनुकरण पीढ़ियोंतक होता है। और वे सदैव जीवित रहते हैं। बी-अम्माँ ईश्वरको और अपने देशको प्यार करती थीं और ऐसा वे जीवनके अन्तिम क्षणतक करती रहीं। उनके अन्त समयमें उनके पास मौजूद था। उनका ईश्वर-प्रेम देखकर मैं बहुत प्रभावित हुआ। जिस प्रकार एक धर्म-प्रेमी हिन्दू परिवारमें मृत्यु-शय्यापर पड़ा हुआ व्यक्ति रामका नाम लेता है उसी प्रकार बी-अम्माँ भी आखिरी साँसतक अल्लाहका नाम जपती रहीं। जीवन-भर उनका यह पक्का विश्वास रहा कि जबतक हिन्दू और मुसलमानोंमें एकता नहीं होगी तबतक भारत स्वतन्त्रता नहीं पायेगा। उस दिन तीसरे पहर मेरी पण्डित मोतीलाल नेहरूसे बात हुई थी। उन्होंने मुझे अमरीकासे मिला एक पत्र दिखलाया

  1. यह सभा बी०-अम्माँ और पारसी रुस्तमजीकी मृत्युपर शोक प्रकट करनेके लिए बम्बई प्रान्तीय कांग्रेस कमेटी, बम्बई स्वराज्य दल, केन्द्रीय खिलाफत समिति, राष्ट्रीय स्त्री सभा, पारसी राजकीय सभा और नेशनल होमरूल लीगके संयुक्त तत्त्वावधानमें हुई थी; सभाकी अध्यक्षता श्रीमती सरोजिनी नायडूने की थी।