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तार: ब्रजकृष्ण चाँदीवालाको

जिसमें बम्बईके एक भूतपूर्व गवर्नर लॉर्ड सिडेनहम द्वारा एक स्थानपर यह कहा बताया गया था कि भारत संसार-भरकी कुंजी है अर्थात् आर्थिक प्रभुत्व और शोषणके लिए भारत मुख्य देश है। इस्लाम दुनियाके कई देशों, जैसे मोरक्को, चीन आदिमें है, लेकिन भारतमें मामला दूसरा है। जबतक हिन्दू और मुसलमान एक नहीं होते तबतक उनको स्वतन्त्रता नहीं मिल सकती। बी-अम्माँ बड़ी दूरदर्शी थीं और जब भी मैं दिल्लीमें उनसे मिलने जाता था, वे हमेशा यही प्रार्थना करती थीं कि ईश्वर हिन्दुओं और मुसलमानोंको एक होनेकी सद्बुद्धि दे और वे हमेशा भारतके लिए स्वराज्यकी कामना करती थीं। उनके भाग्यमें भारतमें स्वराज्य देखना नहीं था, लेकिन उन्होंने भारतको दो जवाँमर्द बेटे दिये थे कि वे हिन्दू और मुसलमानोंको एक करें और इस प्रकार स्वराज्य हासिल करें। उनकी स्मृतिको स्थायी बनानेका सबसे अच्छा तरीका यह नहीं है कि हम उनके नामपर हाल, मूर्तियाँ या भवन खड़े करें बल्कि यह है कि हममें से हर स्त्री और पुरुष हिन्दू-मुस्लिम एकता स्थापित करने और स्वराज्य प्राप्त करनेके लिए अपनी शक्ति-भर प्रयत्न करनेकी प्रतिज्ञा करे और इस प्रकार बी-अम्माँके चरण-चिह्नोंका अनुसरण करे।

इसके बाद महात्माजीने दक्षिण आफ्रिकामें पारसी रुस्तमजीको मृत्युके रूपमें भारतको होनेवाली महान् क्षतिका जिक्र किया। उन्होंने कहा, वे एक उदात्त व्यक्ति थे और बम्बईके नागरिकों को उनकी भारत-सेवा कभी नहीं भूलनी चाहिए, क्योंकि वे मूलतः बम्बईमें खेतवाड़ीके ही रहनेवाले थे। अन्तमें महात्माजीने श्रोताओंसे कहा कि वे एक औपचारिक प्रस्ताव पास करके ही न चल दें बल्कि भारतकी इन दो महान् विभूतियों, बी-अम्माँ और पारसी रुस्तमजीके जीवनका अनुकरण करें।

[ अंग्रेजीसे ]
बॉम्बे क्रॉनिकल, २४-११-१९२४

३०५. तार: ब्रजकृष्ण चाँदीवालाको[१]

बम्बई
२४ नवम्बर, १९२४

आपकी क्षतिसे गहरा शोक हुआ। साहस और विश्वास रखें।

बापू

अंग्रेजी प्रति (जी० एन० २३४७) की फोटो-नकलसे।

  1. यह तार श्री चाँदीवालाकी पत्नीकी मृत्युका समाचार पर भेजा गया था।