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मेरा पथ

मेरा रास्ता साफ है। हिंसात्मक कामोंमें मेरा उपयोग करनेका कोई प्रयत्न सफल हो ही नहीं सकता। मेरे पास कोई गुप्त उपाय नहीं है। मैं सत्यको छोड़कर किसी कूटनीतिको नहीं जानता। मेरा एक ही शस्त्र है---अहिंसा। सम्भव है कि मैं अनजाने, कुछ देर के लिए गलत रास्ते भटका लिया जाऊँ, किन्तु यह हमेशाके लिए नहीं चल सकता। अतएव मैंने अपने लिए ऐसी कैद निश्चित कर ली है, जिसके दायरेके भीतर ही मुझसे काम लिया जा सकता है। इसके पहले भी मुझसे अनुचित काम निकालनेके अनेक प्रयत्न किये गये हैं। जहाँतक मुझे मालूम है, वे हर बार निष्फल ही हुए हैं।

बोलशेविज्मको मैं अभीतक ठीक-ठीक नहीं समझ सका हूँ। मैं इसका अध्ययन भी नहीं कर सका हूँ। मैं यह भी नहीं कह सकता कि रूसके लिए अन्तमें यह लाभकारी होगा या नहीं। तो भी इतना तो मैं अवश्य जानता हूँ कि जहाँतक इसका आधार हिंसा और ईश्वर-विमुखतापर है, उससे मुझे विरक्ति ही होती है। मैं यह नहीं मानता कि हिंसात्मक छोटे रास्तोंसे सफलता मिलती है। जो बोलशेविक मित्र मेरी ओर ध्यान दे रहे हैं, उन्हें यह समझ लेना चाहिए कि मैं ऊँचे उद्देश्योंकी चाहे जितनी प्रशंसा करूँ और उनके प्रति सहानुभूति दिखलाऊँ किन्तु श्रेष्ठसे-श्रेष्ठ कार्यके लिए भी मैं हिंसात्मक पद्धतिका अटल विरोधी ही हूँ। अतएव हिंसावादियोंके और मेरे मिलापके लिए कोई गुंजाइश नहीं है। इतना होनेपर भी मेरा अहिंसा-धर्म मुझे अराजकतावादियों और अन्य सभी हिंसावादियोंके साथ सम्पर्क रखनेका न केवल निषेध नहीं करता है बल्कि वैसा करनेपर मजबूर करता है। किन्तु इस सम्पर्कमें मेरा उद्देश्य केवल यही होता है कि उन्हें मैं उस राहसे बचाऊँ जो मुझे गलत दिखाई देती है। क्योंकि मुझे अपने अनुभवसे विश्वास हो गया है कि स्थायी कल्याण असत्य और हिंसाका फल कभी हो ही नहीं सकता। यदि मेरा यह विश्वास केवल एक भ्रान्ति ही हो तो भी शायद लोग यह तो मान ही लेंगे कि यह एक मनोहारिणी भ्रान्ति है।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, ११-१२-१९२४