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भाषण: पदाधिकारियोंसे सम्बन्धित प्रस्तावपर

तथा वैज्ञानिक दृष्टिसे पड़नेवाली जरूरतको देखते हुए बहुत ज्यादा है, अतः उत्पादन इन आवश्यकताओंकी हदतक ही मर्यादित कर दिया जाना चाहिए।

[ अंग्रेजीसे ]
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसके ३९वें अधिवेशनकी रिपोर्ट।

३९४. भाषण: पदाधिकारियोंसे सम्बन्धित प्रस्तावपर[१]

२७ दिसम्बर, १९२४

अब सिर्फ दो बातें रह गई हैं, जो हमेशा करनी पड़ती हैं--एक जनरल सेक्रेटरी [ महामन्त्री ] और ट्रेजरर [ खजांची ] का चुनाव करना रहा है और कांग्रेस आगे कहाँ मिलनी चाहिए। इसपर कि जहाँ मिलनी चाहिए, यही मुनासिब है कि इसको ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के सुपुर्द कर दिया जाये। ऐसा ही गत वर्ष हुआ था। खजांची वहीं है; और जनरल सेक्रेटरी एक पण्डित जवाहरलाल और दूसरे कुरैशी और तीसरे मिस्टर भरूचा। पहले एक थे डाक्टर किचलू, दूसरे [ के लिए ] बाबू राजेन्द्रप्रसादको कहा गया। बाबू राजेन्द्रप्रसाद जो हरेक काम करते हैं; वह सारा वक्त नहीं दे सकते कि सिर्फ हमारा काम करें। इससे दो नये सेक्रेटरीकी बात है। कल सब्जेक्ट्स-कमेटी ( विषय-समिति ) में इस बारेमें बड़ी बहस हुई थी; और जितने भाई थे, उनसे मेरी बात होती रही थी। और आखिरमें यह मुकर्रर हुआ कि इस वर्ष और आगामी वर्ष भी मैं प्रेसिडेंट रहूँगा तो मुझे काममें मदद देनेवाले ही मेरे मन्त्री नियुक्त किये गये। और कई भाई स्वराज्यवादी और नाफेरवादी [ अपरिवर्तनवादी ] भी मिल गये हैं। इन्हें वर्किंग कमेटी [ कार्य समिति ] में शामिल किया जाये तो क्या हो? यह मुझे भी अच्छा लगा और मैं इस एक क्या सभी के सभीको लेने को तैयार हूँ। लेकिन इसमें एक शर्त होनी चाहिए। [ वे साफ समझें ] कि सारे नेशनका प्रोग्राम एक ही है, आप भी एक हैं। सारा नेशनल प्रोग्राम एक है। अस्पृश्यता निवारण, चरखा, मदिरा-निवारण--एक 'प्रोग्राम' है। इनको मैंने कहा कि कोई खद्दरमें [ उतना ही ] कट्टर विश्वास रखनेवाला हो जितना मैं हूँ, जैसा मेरा विश्वास है तो ऐसे स्वराज्यवादीको मैं [ लेना ] चाहता हूँ; क्योंकि उसकी मार्फतमें जितने स्वराज्यवादी हैं उनको शुद्ध कर लूँगा। जहाँ [ तक ] वे मेरा साथ करेंगे, और हम मिलकर चलना चाहते हैं तो हम मिल जायेंगे।

इस तरह सब बातें होती रहीं। कोई [ ऐसा ] नजर नहीं आया।

यह दोनों नाफेरवादी ( अपरिवर्तनवादी ) हैं, यह जरूरी नहीं। कुछ मैं भी जानता हूँ, वह कहता हूँ। शुएब कुरैशीको मैं जानता हूँ। वह एक बड़े पक्के मुसलमान

  1. बेलगाँव कांग्रेसमें प्रस्ताव पेश करते हुए यह भाषण दिया था। यह प्रस्ताव बादमें मत लेनेपर पास हो गया था।