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४१९. कार्य समिति

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटीने कार्य समितिके सदस्य चुननेका जिम्मा आखिर श्री देशबन्धु दास, पण्डित मोतीलाल नेहरू और मुझपर छोड़ दिया था। मुझपर यह आक्षेप लगाया गया है कि मैंने स्वराज्यवादियोंकी हर माँग मानली है। यदि मैंने ऐसा किया हो तो मुझे इसका फख है। पूर्ण समर्पण तो पूर्ण ही होना चाहिए। फिर भी हकीकत यह है कि किसी भी अपरिवर्तनवादीका नाम वापस लेनेके लिए मुझपर किसी प्रकारका दबाव नहीं डाला गया। मैंने चक्रवर्ती राजगोपालाचारी, श्री वल्लभभाई पटेल और शंकरलाल बैंकरके नाम जान-बूझकर निकाल दिये। समितिमें श्रीमती सरोजिनी देवी और सरदार मंगलसिहका होना एक सम्मानकी बात है। श्री केलकर, श्री अणेके हकमें अपनी जगह खाली कर देने को बहुत उत्सुक थे, लेकिन यह बात मुझे मंजूर नहीं थी। दूसरी ओर श्री अणेका नाम आते ही मुझको लगा कि उनको भी उसमें अवश्य होना चाहिए। पाठक विश्वास रखें कि यह सारा चुनाव सोलहों आने मैत्रीकी भावनासे किया गया है। मान लीजिए कि दोनों पक्षोंके लोग जो-कुछ कह रहे थे, ईमानदारीसे कह रहे थे (और ऐसा ही मानना भी चाहिए) तो यह बात आसानीसे समझमें आ जायेगी कि यह काम दोनोंके लिए कितना कठिन था। यद्यपि उनके विश्वासकी मात्राओंमें फर्क है और इसीलिए उनका जोर जुदा-जुदा बातोंपर है, फिर भी दोनोंको इस सामान्य कार्यक्रमको पूरा करनेके लिए एक सामान्य तरीका ढूँढ़ निकालनेका प्रयत्न करना है। बेशक, अपरिवर्तनवादियोंके निश्चित बहुमतवाली कार्यसमितिमें खादी सम्बन्धी कार्यके सिलसिलेमें जोरदार प्रस्ताव पास हो सकते हैं, लेकिन उन लोगोंके नजदीक उनका कुछ भी वजन न होगा जिन्होंने कि खादी -सदस्यताकी शर्तको बेमनसे कबूल किया था। इसके विपरीत जिस समितिमें स्वराज्यवादियोंका बहुमत होगा उसके प्रस्ताव नरम ढंगके भले ही हों, किन्तु स्वराज्यवादी लोग उन्हें कहीं अधिक महत्त्व देंगे और मेरा काम तो यह है कि स्वराज्यवादियोंको तहे-दिलसे इस काममें अपना साथी बनाऊँ। मैं चाहता हूँ कि मैं अपना असर उनपर डालूँ और वे अपना मुझपर डालें। इसलिए इससे बेहतर कोई बात नहीं हो सकती कि स्वराज्यवादी दलके नेता और उनमें भी योग्यतम और कताई सदस्यताके कट्टरसे-कट्टर विरोधी नेता और मैं मिलकर ऐसे वातावरणमें काम करें, जिसमें हमें एक-दूसरेके साथ मिलकर ही काम करना पड़े। लेकिन जिनको खुद ही इस बातका शौक और विशेष उत्साह है, उनके साथ ऐसा सम्पर्क रखनेकी आवश्यकता मुझे नहीं है। वे तो अपने विश्वासके अनुरूप यथाशक्य काम करेंगे ही। उन्हें काम करनेका उत्साह दिलानेके लिए प्रस्तावों या हिदायतोंकी जरूरत नहीं। इसलिए यदि हम चाहते हों कि इस एक सालमें कांग्रेसके दोनों पक्षोंमें अटूट एकता स्थापित हो जाये तो मेरी रायमें कार्य समितिका चुनाव एक आदर्श चुनाव है। जो भी हो, इसके

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