पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 26.pdf/१३६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१०६
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

प्रश्न: क्या आप डिप्टी कमिश्नर या सरकारके साथ काम कर रहे थे?

उत्तर: मैंने उनसे उतना ही सहयोग किया था जितना यदि न किया जाता तो लोग ज्यादा मुसीबतमें पड़ते।

प्रश्न: क्या आप कार्यकारिणी समितिके सदस्य हैं?

उत्तर: हाँ।

प्रश्न: क्या खिलाफती लोग कार्यकारिणी समितिमें हैं?

उत्तर: उसमें चार-पाँच खिलाफती कार्यकर्ता हैं।

प्रश्न: कार्यकारिणी समितिका अध्यक्ष कौन है?

उत्तर: टोरीके रईस नवाबजादा बाग मुहम्मद खाँ।

प्रश्न: यहाँ आपके साथ मौजूद लोगोंमें कोई कार्यकारिणी समितिके सदस्य हैं?

उत्तर: कार्यकारिणी समितिके दो हिस्से हैं। एक दल शहरके कोहाट तहसीलके खान लोगोंका है। उसे शहरके लोगोंका दूसरा दल मंजूर नहीं करता। मेरा एक साथी कार्यकारिणी समितिका सदस्य है। मेरा ताल्लुक शहरके लोगोंसे है।

प्रश्न: कार्यकारिणी समितिका सरकारसे क्या ताल्लुक है?

उत्तर: उसका सरकारसे कोई खास ताल्लुक नहीं है। सिर्फ मुसीबतमें पड़े मुसलमानों को राहत दिलानेके लिए और मुकदमे चलानेका बन्दोबस्त करनेके लिए इसकी स्थापना की गई है। दर हकीकत इसकी स्थापना इसलिए की गई है कि यह हिन्दुओंसे मेल-मिलाप करे, लेकिन अगर मेल-मिलाप न हो सके, तो मुसलमानोंको उनके मामलोंमें मदद करे।

प्रश्न: क्या जो समझौता अब हुआ है वह कार्यकारिणी समितिने किया है?

उत्तर: इसके सदस्य कई बार पेशावर गये थे; लेकिन कोई समझौता नहीं हुआ। जब हिन्दू कोहाट आये तब खुलकर बातचीत हुई, समझौतेकी शर्ते तैयार की गई और दोनों दलोंने उनपर दस्तखत किये। बाहर के लोगोंने अर्थात जिन्होंने कार्यकारिणी समिति छोड़ दी थी, उन्होंने भी दस्तखत किये हैं।

प्रश्न: जब पेशावरमें बातचीत चल रही थी तब क्या आप भी वहाँ थे?

उत्तर: मैं कार्यकारिणी समितिके साथ पेशावर हमेशा जाता था।

प्रश्न: पेशावरमें शिष्टमण्डलके कितने सदस्य मौजूद रहते थे?

उत्तर: कभी ६ और कभी-कभी तो १२ या १५ भी मौजूद रहते थे।

प्रश्न: क्या आप वहाँ प्रवक्ता थे?

उत्तर : जैसा भी मौका होता, प्रवक्ताका काम या तो नवाब साहब करते थे या पीर साहब, और कभी-कभी में भी बात करता था। चूँकि मैं अंग्रेजी नहीं जानता इसलिए मैं उसमें ज्यादा हिस्सा नहीं ले सकता था।

प्रश्न: कार्यकारिणी समितिका मन्त्री कौन है?

उत्तर: अब शेख अब्दुल रहमान मन्त्री हैं।