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कोहाटके दंगोंके बारेमें अहमद गुलसे जिरह

प्रश्न: (लाला रामजीमलसे) क्या आप वहाँ थे?

उन्होंने उत्तर दिया कि बी० अहमद खाँ मेरे पिताके दोस्त थे। और भी मुसलमान थे जिनके साथ हमारे अच्छे ताल्लुकात थे। मैंने मौलवी अहमद गुलसे प्रार्थना की थी कि क्या वे कोई बन्दोबस्त कर सकते हैं। वे चुप हो गये। लेकिन दूसरे मुसलमानोंने उनसे कहा, "मौलवी, जो हो गया सो हो गया, अब मामला यहाँ खतम करो।" दूसरे मुसलमानोंने हमसे पूछा कि हम क्या चाहते हैं। वे हमारे बच्चोंको निकाल लाये और हम बी० अहमदके घरमें रहे। लौटनेपर मैंने मौलवी अहमद गुलसे कहा था, "मुसलमान हमारे घरोंको लूट रहे हैं, क्योंकि वे अब सूने हैं।" इसपर उन्होंने यह जवाब दिया था, "तुम डिप्टी कमिश्नर या असिस्टेंट कमिश्नरके पास जाओ, वे बन्दोबस्त कर देंगे।"

प्रश्न: आप कहते हैं कि दूसरे मुसलमान भाइयोंने १० तारीखको शरण दी थी?

उत्तर: हाँ, जंगलखेल, गढ़ी मुवाजखाँ, मुहल्ला मियाँ बादशी मियाँ खेलान तथा मुहल्ला पीर सायत-उल-अममें दी गई और डा० गुलाम सादिकने भी शरण दी थी।

प्रश्न: (यह सरदार गुरदितसिंहने पूछा था।) जब मौलाना साहब १० तारीखको कोतवालीमें आये थे तब मैंने उनसे कहा था कि बड़ी बरबादी हुई है। इसपर उन्होंने जवाब दिया था कि यह हालत विष्णुके मन्दिरकी हुई है। क्या वह ठीक है?

उत्तर: हाँ, यह ठीक है।

प्रश्न: क्या १० तारीखको सभी हिन्दू छावनी चले गये थे?

उत्तर: कुछ चले गये थे, क्योंकि मैं खुद तीन-चार जत्योंके साथ गया था। सभी स्थानोंमें सुरक्षाके लिए स्वयंसेवक भेजे गये थे। हो सकता है कि एक-दो हिन्दुओंको नुकसान पहुँचा हो। मैं नहीं कह सकता। हिन्दुओंको उनके घरोंसे निकलवा कर थानेमें पहुँचा दिया गया था और सरकारको सौंप दिया गया था।

प्रश्न: सरकारको सौंप देनेसे आपका मतलब क्या है?

उत्तर: अधिकारियोंने हुक्म दिया था कि जो हिन्दू यहाँ रह गये हैं और सुरक्षित हैं, वे थानेमें इकट्ठे कर लिये जायें। डिप्टी कमिश्नरने मुझसे और पुलिससे भी यह बात कही थी। मैंने कहा था कि कुछ हिन्दू मेरे घरमें हैं।

प्रश्न: क्या डिप्टी कमिश्नरने यह बन्दोबस्त आपको सौंपा था?

उत्तरः उन्होंने मुझे ऐसा कोई खास बन्दोबस्त नहीं सौंपा था, जिसे अधिकारी कर सकते थे। सिर्फ मैं उन्हें आदमी देता था कि जो लोग बाहरसे शहरमें घुसें वे पहचाने जा सकें या कोई आदमी बाहर जाये तो यह जाना जा सके कि वह कोई सन्दिग्ध व्यक्ति तो नहीं है। सीमापर स्वयंसेवकोंके साथ पुलिस और सीमाकी पुलिस भी थी।