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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

प्रश्न: १० तारीखके बाद लूटमार और आगजनीका क्या हुआ?

उत्तर: १० तारीखको गोली चल ही रही थी लेकिन लूटमार या आगजनीकी कोई घटना उसके बाद नहीं हुई।

प्रश्न: हिन्दुओंकी हानिका अनुपात या प्रतिशत क्या था, क्या आप इसके कोई अनुमानित आँकड़े दे सकते हैं?

उत्तर: मैं नहीं दे सकता।

प्रश्न: क्या हिन्दुओंकी हानि अधिक हुई थी?

उत्तर: अवश्य ही, हिन्दुओंकी हानि अधिक हुई थी।

प्रश्न: लूटका माल गाँवोंमें मिल सकता है या कोहाटमें?

उत्तर: मैं इस बारेमें कुछ नहीं कह सकता। कुछ माल जैसे कपड़ा मिला था और वह अधिकारियोंने तहसीलमें जमा कर दिया है। कह नहीं सकता कि लूटका माल कोहाटमें है। वह जरूर गाँवोंमें पहुँच गया होगा।

प्रश्न: क्या आप धर्म-परिवर्तनके बारेमें पीर साहबसे सहमत हैं? क्या इस तरहकी कोई घटना ९ और १० तारीखको हुई थी?

उत्तर: मैं उनसे सहमत हूँ। जैसा कि पीर साहबने कहा है कि ऐसी घटना उन्हीं दिनोंमें हुई थी।

प्रश्न: क्या आपका भी यह खयाल है कि हर साल १०० से लेकर १५० तक हिन्दू मुसलमान बनाये जाते हैं?

उत्तर: मैं संख्याके सम्बन्धमें उनसे सहमत नहीं हैं। जहाँतक मैं जानता है कि एक सालकी औसत संख्या ४० है। इसमें बाहरसे आये हुए लोग भी शामिल हैं।

प्रश्न: क्या औरतोंको मुसलमान बनानेके बारेमें आपका खयाल भी वैसा ही है, जैसा पीर साहबने जाहिर किया है?

उत्तर: अगर औरतको मुसलमान बनाते वक्त दबाव डाला गया हो और अगर वह दबावके कारण मुसलमान बनी हो तो मुसलमान उसे उसके हिन्दू शौहरके पास जाने देनके लिए बाध्य हैं।

प्रश्न: अगर अदालत हिन्दू शौहरके पक्षमें फैसला देती है तो क्या मुसलमान फिर भी औरतको नहीं लौटाते?

उत्तर: मुसलमान उसे नहीं मानते और हिन्दू शौहरके साथ उसके सम्बन्धको अनुचित समझते हैं।

प्रश्न: मुसलमान औरतको छिपा सकते हैं या इसके लिए कोई दूसरा तरीका अपना सकते हैं?

उत्तर: यह मुसलमानोंका कर्तव्य हो जायेगा कि वे औरतको उसके हिन्दू शौहरके पास न जाने दें, क्योंकि मुसलमान बनते ही अपने हिन्दू शौहरसे उसका ताल्लुक खतम हो जाता है।