पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 26.pdf/२५६

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१३७. पत्र: एन० मेरी पीटर्सनको

५ मार्च, १९२५

कुमारी पीटर्सन
पोर्टोनोवो

वाइकोम जाते हुए शनिवारको मद्रास पहुँच रहा हूँ।

गांधी

अंग्रेजी मसविदे (एस० एन० २४५६) से।

१३८. पत्र: अमृतलाल खेतसीको

बम्बई

फाल्गुन सुदी १० [५ मार्च, १९२५]

भाई श्री अमृतलाल,

चि० रामीकी तबियत खराब होनेकी खबर पढ़कर दुःख हुआ। मुझे वाइकोमके पतेपर उसकी खबर देते रहना। रामीसे कहना, ठीक होते ही मुझे पत्र लिखे।

मोहनदासके आशीर्वाद

गुजराती प्रति (सी० डब्ल्यू० ६७७) से।

सौजन्य: नवजीवन न्यास

१३९. पत्र: घनश्यामदास बिड़लाको

फाल्गुन सुदी १० [५ मार्च, १९२५]

भाईश्री घनश्यामदासजी,

आपका पत्र रांचीसे मीला है। आश्रमसे एक पेटी-चर्खा आपको कलकत्ते भेजा गया है। और एक नयी किसमका दिल्लीसे भेजा गया है। दोनों आपके खत मीलनेके पेश्तर भेजे गये। इसलीये कलकत्ते गये हैं।

१. दक्षिणमें डेनिश धर्म प्रचारक संघकी कार्यकर्त्री। वे कुछ समयतक साबरमती आश्रममें रही थीं।

२. गांधीजी ५ मार्च, १९२५ को बम्बईमें थे।

३. गांधीजी ५ मार्च, १९२५ को बम्बईसे मद्रासके लिए रवाना हुए थे।