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१४५. भेंट : 'स्वदेशमित्रन्' के प्रतिनिधिसे

मद्रास

७ मार्च, १९२५

हमारे प्रतिनिधिने आज दोपहर बाद १-३० बजे महात्माजीसे श्री श्रीनिवास आयंगारके निवास स्थानपर भेंट की...। जब हमारा प्रतिनिधि वहाँ पहुँचा तब कालेजकी कुछ छात्रायें उनके दर्शनार्थ आई हुई थीं।

महात्माजीने छात्राओंसे पूछा:

आप चरखा चलाती हैं?

एक छात्राने उत्तर दिया, हम तो कालेजमें पढ़ती है, इसलिए हमें चरखा चलाने के लिए समय नहीं मिलता। महात्माजीने उनसे उनके कालेज और पाठ्यक्रम आदिके सम्बन्धमें कुछ प्रश्न पूछे। उन्होंने उसके बाद पूछा:

आपको तमिल भाषा अधिक अच्छी लगती है या अंग्रेजी?

एक छात्राने उत्तर दिया, तमिल हमारी मातृभाषा है; इसलिए हमें वह अधिक अच्छी लगती है। अन्तमें छात्राओंने गांधोजीसे जानेकी अनुमति माँगी। गांधीजीने उन्हें सलाह दी कि वे चरखेपर सूत काता करें। छात्राओंने गांधीजीको चरखा चलानेका वचन दिया।

इसके बाद हमारे प्रतिनिधि और गांधीजीमें इस तरह बातचीत हुई:

आपने बम्बईमें हिन्दू-मुस्लिम एकताके प्रश्नके सम्बन्धमें एक पत्रके संवाददातासे जो-कुछ कहा था उसे पढ़कर मुझे लगा कि वातावरण ही ऐसा है कि मतभेद हो जाते हैं। इसलिए मैं सीधा आपसे ही यह जानना चाहता हूँ कि वर्तमान स्थितिके सम्बन्धमें आपका क्या खयाल है?

इन दोनों पड़ौसी साम्प्रदायिक समुदायोंमें एकता नहीं है और उनकी फूट बढ़ रही है। उनका एक-दूसरेके प्रति सन्देह भी बढ़ गया है।

आपकी रायमें इसका तात्कालिक हल क्या हो सकता है?

उन्हें एक-दूसरेपर सन्देह करना छोड़ देना चाहिए जिससे उनका ऐक्य-सम्बन्ध दृढ़ हो। लोगोंको अपने नेतामें श्रद्धा रखनी चाहिए।

वाइसरायको इंग्लैंड यात्राके अवसरपर इंग्लैंडके पत्रोंने भारत और भारतके हितों तथा उसके उत्थानके विरुद्ध प्रचार आरम्भ कर दिया है। इस सम्बन्धमें कुछ लोगोंका सुझाव है कि हमें भी जवाबमें इंग्लैंड में प्रचार करना चाहिए और इस प्रकार उन लोगोंको वस्तुस्थिति और भारतके लोगोंका दृष्टिकोण बताना चाहिए। मैं इस विषयमें आपका मत जानना चाहता हूँ।

१. तमिल दैनिक स्वदेशमित्रन्में प्रकाशित मूल विवरण तमिलमें है, लेकिन यहाँ अनुवाद अंग्रेजीसे किया गया है।