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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

सीखना होगा। मुझे अकसर पाश्चात्य सभ्यता और उसके तौर-तरीकोंके विरुद्ध कुछ कहना पड़ता है और इसलिए मुझे जब भी अवसर मिलता है, मैं यह बताने में नहीं चूकता कि हमें पश्चिमसे किन-किन उपयोगी बातोंकी शिक्षा ग्रहण करना उचित है। मेरा विचार है कि भारतमें हमारे जो बड़े-बड़े नगर है उनकी सफाईके तरीकोंके सम्बन्धमें शिक्षा ग्रहण करनेके लिए हम पश्चिमके पास जायें, इससे बढ़कर और कुछ नहीं हो सकता! मैं चाहता हूँ कि मैं यह बात आपके हृदयमें बिठा सकूँ कि झाड़ देना एक शानदार पेशा है, यद्यपि हमें उससे वह यश अथवा अपयश नहीं मिलता जो जीवनके दूसरे विभागोंमें काम करनेसे मिलता है। जब मैं नगरपालिकाकी सेवाके विषयमें कहता हूँ तब आप मेरी बातका गलत अर्थ न लगायें। जीवनके अन्य क्षेत्रोंमें सेवा करना भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है जितना कि नगरपालिकाकी सेवा करना। किन्तु मैंने देखा है कि हमारे सार्वजनिक जीवनमें सफाईके कामकी कीमत न समझनेकी प्रवृत्ति पाई जाती है।

अपने अभिनन्दन-पत्रमे आपने मेरी उन छोटी-छोटी सेवाओंकी प्रशंसामें जो, मैं जनसेवीके रूपमें कर सका हूँ, बहुत-सी बातें कही हैं। मैं जनसेवी हूँ और जनसेवी ही रहना चाहता हूँ। किन्तु मैं देखता हूँ कि आपने अपने अभिनन्दन-पत्र में एक बातका उल्लेख नहीं किया है; और वह है खद्दरके सम्बन्धमें। मैं आपको यह बताना चाहूँगा कि मानवताके लिए मैंने जो कुछ भी किया है उनमें मैं खद्दरको लगभग सबसे आगे रखता हूँ। भारतकी विभिन्न जातियों तथा विभिन्न धर्मोका अनुसरण करनेवाले समाजों में एकता स्थापित करना राष्ट्रीय जीवनके उदयके लिए अनिवार्य है। अस्पृश्यताके अभिशापको दूर करना भी उतना ही आवश्यक है जितना एक व्यक्तिके क्षयरोगको दूर करना। अस्पृश्यताके कारण हिन्दू धर्मकी जीवनी शक्तिका ह्रास होता चला जा रहा है। जनताको गिरानेवाली गरीबीको दूर करना खद्दरपर निर्भर है। यही कारण है कि जब प्रत्येक भारतीय, प्रत्येक अंग्रेज तथा प्रत्येक विदेशी जो भारत आता है और मुझसे पूछता है कि आप एक विदेशीसे क्या कराना चाहते हैं, तो मैं उनसे कहता हूँ कि आप मेरे देशकी परिस्थितियोंका अध्ययन करें और यह मालूम करें कि क्या इस मामूली-से चरखेकी अपेक्षा कोई और अच्छी चीज आपको मिली है। यदि आपको भारतकी परिस्थितियोंका ध्यानपूर्वक अध्ययन करनेके बाद यह लगे कि उससे अच्छी कोई चीज नहीं मिली तो आप चरखेके पक्षमें दो शब्द कहें। मैं चाहता हूँ कि मैं चरखेको बहुत-सी अन्य चीजोंसे--राजनीतिसे अलग कर लूँ। किन्तु आप जानते हैं, मैंने कई बार कहा है कि जीवनके ये सारे विभाग परस्पर ग्रथित और अन्तमिश्रित हैं; और इसलिए उन्हें जीवनके अन्य विभागोंसे अलग करना असम्भव है। किन्तु मैं यह निश्चित रूपसे जानता हूँ कि चरखे और खद्दर-उत्पादनका राजनीतिक मूल्य तो है ही। इसके अतिरिक्त यदि हमें उस आर्थिक कष्टको जिसके नीचे यह देश छटपटा रहा है, दूर करना है; यदि हमें भारतके करोड़ों मूक लोगोंकी सेवा करनी है तो हम खद्दरके बिना, चरखके बिना कुछ नहीं कर सकते। इसलिए मैं निवेदन करता हूँ कि नगरपालिकाके सदस्य उसकी ओर ध्यान दें। मैं आपसे कहता हूँ कि आप उसे अपने स्कूलोंमें स्थान दें। आप अंग्रेज, भारतीय-