सोजित्रा
१६जनवरी, १९२५
मैं नहीं जानता कि तुम मुझसे श्री एलेक्जेंडरको[१] किस आशयका तार भिजवाना चाहते हो। क्योंकि पहले जो अधिकारपत्र भेजा जा चुका है वह पर्याप्त रूप से व्यापक है। फिर भी यदि तुम मुझसे दूसरा अधिकारपत्र भिजवाना चाहते हो तो मुझे मसविदा और पता भेज दो। मैं बहुत थका हुआ हूँ, अधिक नहीं लिखूँगा।
सस्नेह।
तुम्हारा,
मोहन
मुस्लिम लीगके बारेमें मत सोचो। इस मामले में कांग्रेस सबका प्रतिनिधित्व करती है।
अंग्रेजी प्रति (जी० एन० २६१९) की फोटो-नकलसे।
२. भाषण: महिला परिषद्, सोजित्रामें[२]
१६ जनवरी, १९२५
मैं बहनोंके सामने राम-राज्यकी बात करता हूँ। राम-राज्य स्वराज्यसे भी अधिक है। इसलिए वह कैसा होता है, मैं इसीके बारेमें बताऊँगा, स्वराज्यके बारेमें नहीं। राम-राज्य वहीं हो सकता है, जहाँ सीताका होना सम्भव हो। हम हिन्दू बहुतेरे श्लोकोंका पाठ करते हैं। उनमें एक श्लोक स्त्रियोंके विषयमें है। इसमें प्रातःस्मरणीय स्त्रियोंके नाम लिए गये हैं। कौन हैं ये स्त्रियाँ?[३] जिनके नाम लेनेसे पुरुष और स्त्रियाँ सभी पुनीत हो जाते हैं। सती स्त्रियोंमें सीताका नाम तो सदा ही लिया जाता है। हम "राम-सीता" नहीं कहते, "सीता-राम" कहते हैं और इसी प्रकार "कृष्ण-राधा" न