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टिप्पणियाँ

बन्दियोंको न लांघा जाये जिससे सरकारपर अनुचित दबाव न पड़े। इसी कारणसे तो पुलिसको चकमा देनेकी कोशिश नहीं की गई। यह बात स्वीकार कर ली गई है कि सुधारकोंके लिए जो चीज स्पष्टतः एक पापपूर्ण अन्धविश्वास है वही कट्टरपन्थियोंके लिए उनके धर्मका एक अंग है। इसलिए सत्याग्रहियोंकी अपील कट्टरपन्थियोंकी विवेक-भावनासे है। किन्तु अनुभव यह है कि जिनकी अपनी सुनिश्चित धारणाएँ हैं उनकी विवेक-भावनाके प्रति अपील करनेसे उनपर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। उनकी समझकी आँखें दलीलोंसे नहीं बल्कि सत्याग्रहियोंके कष्ट सहनसे खुलती हैं। सत्याग्रही हृदयके मार्गसे विवेक भावनातक पहुँचनेकी कोशिश करता है। हृदयतक पहुँचनेका तरीका जनमतको जागृत करना है। व्यक्तियोंको जनमतकी परवाह होती है, इसलिए जनमत बारूदसे भी अधिक शक्तिशाली होता है। वाइकोम सत्याग्रहने अपने आपको न्यायसंगत साबित कर दिखाया है, क्योंकि उसने सारे भारतका ध्यान अपने उद्देश्यकी ओर आकर्षित किया है, और उसीके कारण त्रावणकोर विधान सभामें उस याचित सुधारके पक्षमें एक असाधारण वाद-विवादके समय एक प्रस्तावपर विचार किया गया और अन्तमें इसीके कारण त्रावणकोरके दीवानने अपना सुविचारित उत्तर दिया। यदि सत्याग्रही केवल धैर्य धारण करें और कष्ट सहनकी भावनाको बनाये रखें तो मुझे विश्वास है कि विजय निश्चित है।

मनुष्यकी मनुष्यके प्रति बर्बरता


ताड़ वृक्षोंकी इस भूमि (त्रावणकोर) में, जहाँसे मैं इन टिप्पणियों-को लिख रहा हूँ, अपने लगातार किये जानेवाले इस दौरे में मैं एक अविस्मरणीय दृश्यका उल्लेख किये बिना नहीं रह सकता, जो मुझे कोचीनमें देखना पड़ा था। कोचीनमें जापानसे बहुत-सी रिक्शाएँ मँगाई गई हैं जिनका उपयोग यहाँके समृद्ध नागरिक अपनी सुविधाके लिए करते हैं। इन रिक्शाओंको पशु नहीं, मनुष्य खींचते हैं। मेरे पाससे जितने रिक्शाचालक निकले मैंने उन सबको बहुत ध्यानसे देखा। मुझे उनमें से किसीकी भी तन्दुरुस्ती ठीक नहीं लगी। उनकी पिण्डलियाँ या छाती या बाहें ऐसी सुगठित नहीं थीं कि वे इस तेज धूपमें और पसीना-पसीना कर देनेवाली गर्मीमें इस भारी बोझको खींचनेका कठिन काम कर सकें। ये रिक्शाएँ केवल एक यात्रीको ले जानेके लिए बनाई जाती हैं। मेरी रायमें किसी स्वस्थ और पूरे अंगवाले मनुष्यके लिए यह बहुत बुरा है कि उसे कोई मनुष्य खींचकर ले जाये, लेकिन जब मैंने कुछ रिक्शाओंमें दो-दो या तीन-तीन यात्री लदे देखे तो मुझे अपने इन भाइयोंपर शर्म आई और बेहद दुःख हुआ। रिक्शा-चालकने एकसे ज्यादा व्यक्तियोंको ले जानेसे इनकार नहीं किया, यह निःसन्देह उसकी गलती थी। लेकिन उन लोगोंके लिए क्या कहा जाये जो अपने थोड़ेसे पैसे बचानेके लिए एक साथ दो या तीन एक ही रिक्शामें चढ़ जाते हैं, जब कि रिक्शा-चालक उनमें से एकको भी खींचनेके लायक नहीं है। मुझे आशा है कि कोचीनमें ऐसा कोई कानून होगा जिसके अनुसार इन रिक्शाओंमें एकसे अधिक सवारीका बैठना निषिद्ध है और यदि ऐसा कानून है तो मैं आशा करता हूँ कि कृपालु नागरिक उसका पूरा-पूरा पालन करनेका ध्यान रखेंगे। यदि वहाँ कोई ऐसा