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बम्बई तथा अहमदाबादके कपड़ेसे अधिक है। किन्तु जब आप इस खद्दरकी मजबूतीकी तुलना मैनचेस्टरके मालसे करेंगे, तब मुझे विश्वास है कि आपको यह खद्दर उस कपड़ेसे सस्ता लगेगा। मैं आपको सदा खद्दर पहननेवालोंका सामान्य अनुभव बता सकता हूँ। उनकी रुचि इतनी सुसंस्कृत और इतनी सादी हो गई है कि जबसे उन्होंने खद्दर पहनना शुरू किया है तबसे कम कपड़ोंसे ही उनका काम चलने लगा है। इसके अतिरिक्त क्या इस जिलेमें रहनेवाले गरीब स्त्री-पुरुषोंके प्रति आपका यह कर्तव्य नहीं है कि आप उनका कपड़ा मैनचेस्टर या जापान और यहाँतक कि बम्बई और अहमदाबादके बने कपड़ेसे कुछ महँगा होनेपर भी खरीदें। आपको विदेशी मालके बजाय अपने देशका माल खरीदना चाहिए। यद्यपि सभी आपके पड़ोसी हैं, फिर भी यदि आप दूरस्थ पंजाबके लिए, चाहे पंजाब भारतमें ही क्यों न हो अपने निकटतम पड़ोसियोंकी उपेक्षा करते हैं तो आपको देशसे सच्चा प्रेम नहीं है। यदि आप सब अपने-अपने पड़ोसियोंका ध्यान रखें तो आप पायेंगे कि देशकी सभी समस्याएँ और कठिनाइयाँ दूर हो गई हैं। आप सब इस बातसे सहमत हैं कि खद्दरका यह सन्देश महान् सन्देश है। इसलिए मैं आप सबसे कहता हूँ कि यदि आपने अभीतक खद्दरको न अपनाया हो तो आप उसे तुरन्त अपना लें। मैं आपसे यह भी कहता हूँ कि आप प्रत्येक घरमें चरखेकी पुनः स्थापना करें, क्योंकि जबतक सैकड़ों, हजारों लोग स्वेच्छया कताईको नहीं अपनाते तबतक उतना महीन सूत नहीं काता जा सकता और न ही खद्दरको उतना सस्ता बनाया जा सकता है जितना कि हम चाहते हैं। चरखेकी अनन्त सम्भावनाओंके कारण ही मैंने प्रत्येक कांग्रेसीको यह सुझाव देने का साहस किया कि मताधिकारमें कताई-परीक्षाको शामिल किया जाये। आज बहुत-सी बहनोंको चरखा कातते देखकर मुझे बड़ी प्रसन्नता हई।

मैं आदर्श गाँवके बुनकरोंके पास भी गया। यदि आपने इन महिलाओंको चरखा कातते देखा हो और यदि आपने देखा हो कि चरखा उनके घरोंमें कैसी खुशी ले आया है तो आप खद्दरके सन्देशपर जल्दी ही अमल करने लगेंगे। मुझे मालूम हुआ कि आपका संरक्षण न मिलनेके कारण ही खादी मण्डल हजारों कातनेवाली महिलाओंको काम देने में असमर्थ है। नगरपालिकाके सदस्यों और यहाँके नागरिकोंसे मेरा अनुरोध है कि वे इन केन्द्रों में जायें और जो-कुछ मैं कह रहा हूँ उसकी सचाई स्वयं देखें।

मुझे इस बातकी खुशी हुई है कि आप लोगोंके सामने अस्पृश्यता या अनुपगम्यताकी समस्या नहीं है, जैसे कि दक्षिणके कुछ भागोंमें है। किन्तु मुझे आशा है कि यदि अब भी कहीं अस्पृश्यता या अनुपम्यताकी समस्या है तो उसे नि:संकोच दूर कर दिया जायेगा। मुझे इस बातका पूरा विश्वास है कि वह हिन्दू धर्मका अंग नहीं है।

तीसरी जिस बातका उल्लेख मैंने बार-बार किया है, वह है हिन्दू-मुस्लिम एकता। जबतक हम अपने देशकी सभी जातियोंमें एकता स्थापित करनेके महत्त्वको नहीं समझते तबतक विकासकी उस चरम स्थितितक नहीं पहुँच सकते जहाँतक पहुँचनेकी हममें सामर्थ्य है। चौथी बात है, नशाबन्दी। त्रावणकोर और कोचीनकी सम्पूर्ण यात्रामें मुझसे जोर देकर यह कहा गया कि शराबकी लतसे बहुतसे घर बरबाद होते जा रहे