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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

हैं। यदि यहाँ की जनताको शराबकी लत है तो मैं आशा करता हूँ कि आप उस समस्याको भी हल करेंगे। (जोरोंसे और देरतक हर्षध्वनि)।

[अंग्रेजीसे]
हिन्दू, २०-३-१९२५


१९२. भाषण: पुटुपालयमको ग्रामीण सभामें

२१ मार्च, १९२५

भाइयो,

जहाँ पहुँचना मुश्किल है ऐसे स्थानपर पहुँचकर और आप सबसे मिलकर मुझे अत्यन्त प्रसन्नता हुई। जब मेरी नजर आपके वाद्योंपर पड़ी तब मेरी इच्छा हुई कि मैं स्वाभाविक रूपमें गाये हुए आपके कुछ गीत सुनूँ। मैं जानता हूँ कि राष्ट्रीय जीवनके विकासमें गीतोंका महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। गीत-गीतमें अन्तर होता है और विभिन्न प्रकारके गीतोंमें जमीन-आसमानका फर्क होता है। ऐसे भी गीत होते हैं जो मनुष्यको ऊँचा उठाते है और ऐसे भी गीत होते हैं जो उसे गिराते हैं। जब आपको सचमुचमें कोई अच्छा गीत मिले, जो भक्ति और ओजसे भरपूर हो, तब वह आपको ऊँचा उठाता है। हमारे कुछ प्राचीन गीत इसी प्रकारके हैं। वे सारे भारतमें पाये जाते हैं। प्राचीन कालमें हमारे अपने तारवाले वाद्य होते थे, किन्तु आज हारमोनियमने उन श्रेष्ठ वाद्योंका स्थान ग्रहण कर लिया है। मैं चाहता हूँ कि हम उन तारवाले वाद्योंको फिरसे अपना लें। उनका संगीत अधिक मधुर होता है। हारमोनियमकी अपेक्षा मुझे उनके संगीतसे अधिक शान्ति प्राप्त होती है।

जब मैं आप सबपर और यहाँ उपस्थित सभी बहनोंपर निगाह डालता हूँ तब मैं देखता हूँ कि आपमें से अधिकांश विदेशी वस्त्र पहने हुए हैं। मैं चाहूँगा कि आप थोड़ी देरके लिए इस बातपर विचार करें कि विदेशी वस्त्र पहननेका मतलब क्या है। एक सौ वर्षोंसे अधिक समय नहीं बीता जबकि आपके पूर्वजों--स्त्री और पुरुषों--के घरोंमें चरखे थे। जिस प्रकार आज हर घरमें रसोईघर और चूल्हा रहता है उसी प्रकार हर घरमें चरखा भी होता था, जिसपर महिलाएँ सूत काता करती थीं। जो सूत हमारी बहनें कातती थीं उसे गाँवके बुनकर बुनते थे और वही कपड़ा हम पहनते थे। मान लीजिए हममें से प्रत्येक साल-भरके लिए अपने कपड़ोंपर ८ रु० खर्च करता है और इस गाँवकी आबादी ५,००० है तो हम प्रतिवर्ष ४०,००० रु० की बचत करते। आज हम अपने गाँवसे करीब ४०,००० रु० मैनचेस्टर, जापान या बम्बईको भेज रहे हैं। किसी भी हालतमें यह ठीक नहीं है।

प्राचीन कालमें हम वही काम करते थे जो उचित थे, जिनसे देशका हित होता था और भुखमरी दूर रहती थी। अब हम ऐसा नहीं करते हैं; इसलिए जब यहाँ दुर्भिक्ष पड़ता है तब हमारी समझमें नहीं आता कि हमें क्या करना चाहिए। इसलिए मैं