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२२७. तार: वल्लभभाई पटेलको

२६ मार्च, १९२५

वल्लभभाई पटेल
अहमदाबाद

जामनगरके जयशंकर वाघजीको अहमदाबादमें रोकें। रातकी मेलसे बम्बई जा रहे हैं। उनसे कहें अहमदाबादमें रुकें। मुझसे कल मिले।

गांधी

अंग्रेजी मसविदे (एस० एन० २४५६) से।

२२८. पत्र: घनश्यामदास बिड़लाको

चत्र सुदी २ २६ [मार्च, १९२५][१]

भाई घनश्यामदासजी,

यह है हकीम साहबका तार। क्या आप मुझको २५००० अब भेज सकते हो? यदि भेजा जाय तो देल्हीमें हकीम साहबके यहाँ भेजोगे के मुझको मुंबईमें जमनालालजीके वहाँ भेजोगे? मुझे यदि क्रेडीट देल्हीमें मीले तो कमीशनका शायद बचाव होगा। मैं १ ली एप्रील तक आश्रममें हुंगा उसके बाद काठीयावाड़में दुबारा जाउंगा। मेइ दो तारीखको फरीदपुर पहोंचना होगा।

आपकी धर्मपत्नीकी सेहत अच्छी होगी।

गोरक्षाका कार्य मैं मेरे ही ढंगसे उठाना चाहता हूं या कहो मुझको उठाना पड़ेगा। इस कार्य में तो आप सब भाइयोंकी सहायकी मैं आशा रखुंगा बड़े संकोचसे मैंने इस कार्यको हस्तगत करनेका स्वीकार कीया है।

आपका,
मोहनदास गांधी

मूल पत्र (सी० डब्ल्यू० ६१०८) से।

सौजन्य: घनश्यामदास बिड़ला

१. गोरक्षा और काठियावाड़की यात्राके उल्लेखसे लगता है कि यह पत्र १९२५ में लिखा गया होगा।