पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 26.pdf/४४४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

२२९. भेंट: 'बॉम्बे क्रॉनिकल' के प्रतिनिधिको

बम्बई
२६ मार्च, १९२५

आपका अपनी वाइकोम-यात्राके बारेमें क्या विचार है? वह सफल रही या असफल?

मैं तो मानता हूँ कि वह न सफल रही, न असफल। वह सफल इसलिए नहीं रही कि जिन सड़कोंके बारेमें आन्दोलन है वे अभीतक नहीं खुली हैं और उसे असफल इसलिए नहीं समझता कि यदि सत्याग्रही अपनी आस्थापर दृढ़ रहे तो सफलता निकट है, ऐसा मेरा विश्वास है।

किन्तु क्या आपने जो प्रस्ताव रखे हैं उनसे आपने सामान्य पद्धतिके विरुद्ध मानव-जातिके सामान्य अधिकारको खतरेमें नहीं डाल दिया है? आपने उन प्रस्तावोंको रखकर अधिक महत्त्व उस वर्गकी रायको दिया है जो शायद आपके दावेका या शास्त्रोंकी आज्ञाका विरोधी है।

मैं नहीं समझता कि मैंने ऐसा कुछ भी किया है; इसलिए कि अगर मेरे सहयोगी कार्यकर्त्ताओंने मुझे सही जानकारी दी है, तो सवर्ण हिन्दुओंका भारी बहुमत इस सुधारके पक्षमें है। मूल सत्याग्रहका आधार यह मान्यता ही है कि सवर्ण हिन्दुओंका मत इस सुधारके पक्षमें है। इसलिए जब कट्टरपन्थियोंने यह कहा कि सवर्ण हिन्दुओंका मत इस सुधारके पक्षमें नहीं है और मुझे मालूम हुआ कि सरकार इस प्रश्नपर सवर्ण हिन्दुओंके मतकी स्पष्ट अभिव्यक्ति चाहती है, तो मैं ज्ञानहीन किन्तु शुद्ध-हृदय कट्टरपन्थियोंको सन्तुष्ट करनेके हेतुसे इस सुधारके सम्बन्धमें लोकमत-संग्रह करनेका सुझाव देनेके लिए बाध्य हो गया। मैं इस सवालपर विद्वान् शास्त्र-वेत्ताओंके विचार जाननेका सुझाव देने के लिए इसलिए विवश हुआ, क्योंकि मैं जानता था कि सार्वजनिक सड़कोंके उपयोगके सम्बन्धमें शास्त्रोंमें ऐसा कोई भी प्रमाण नहीं है जिससे कट्टरपन्थियोंके पक्षका समर्थन हो सके। यह याद रखना चाहिए कि सरकारका कहना है कि त्रावणकोरका कानून इन सुधारकोंके खिलाफ है। इसलिए अगर कट्टरपन्थी लोग इसका विरोध करें तो सरकारके लिए एक नया कानून बनाना जरूरी है। सरकारका ऐसा कहना कहाँतक सही है, सो मैं नहीं जानता, लेकिन मुझे इसका जवाब तो देना ही था।

फिर सत्याग्रहका भविष्य क्या है?

मुझे आशा है कि अब सरकार स्वभावत: जो अगला कदम उठायेगी वह यही होगा कि वह कट्टरपन्थियोंकी सहमतिसे अथवा उसके बिना मेरे किसी एक सुझावको मान लेगी।

[अंग्रेजीसे]
बॉम्बे क्रॉनिकल, २७-३-१९२५