पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 27.pdf/१३१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१०१
भेट : जिला अध्यापक संघके प्रतिनिधियोंसे

गांधीजीने मध्यम वर्गके लोगोंसे जोर देते हुए कहा कि आप लोग जहाँ-कहीं भी हों, कमसे-कम आधा घंटा प्रतिदिन चरखा जरूर चलायें। यदि आप गरीबोंकी खातिर चरखा चलायेंगे तो इससे बढ़कर और कोई काम नहीं है। इस बातपर जोर देनके लिए मैं विभिन्न स्थानोंका दौरा करता रहता हूँ। इसके बाद गांधीजीने नवाखलीमें नदीके बहावके कारण जमीन कटने का जिक्र किया।

[अंग्रेजीसे]

अमृतबाजार पत्रिका, १६-५-१९५५


५०. भेंट: जिला अध्यापक संघके प्रतिनिधियोंसे
नवाखली
 
१४ मई, १९२५
 

प्रतिनिधियोंने महात्माजीसे शिक्षाको वर्तमान प्रणालोके सम्बन्धमें कुछ प्रश्न किये और पूछा कि मौजूदा परिस्थितियों में अध्यापक अपने देशकी सच्ची सेवा किस तरह कर सकते हैं। महात्माजी मुस्कराये और बोले "कातो और खूब कातो।" आप अपने चरित्र और कार्यका उदाहरण प्रस्तुत करके बालकोंके मनपर, जो पूरी तरहसे आपके नियन्त्रणमें हैं, प्रभाव डालकर शिक्षा-संस्थाओंका साराका-सारा नैतिक वातावरण ही बदल डालिए। यदि अध्यापक सच्चे दिलसे प्रयत्न करें तो निरीक्षकों द्वारा सरकारके मनमाने हस्तक्षेपसे भी उनके उद्देश्य विफल नहीं हो सकते; क्योंकि अध्यापक सरकारी मुलाजिम नहीं है। यद्यपि बंगालके अध्यापकोंका और एक तरहसे समस्त भारतके अध्यापकोंका अलग ही वर्ग है फिर भी आज किसी सम्मिलित प्रयत्न- को आशा नहीं की जा सकती। लेकिन सच्ची लगनवाले शिक्षकोंको व्यक्तिगत रूपसे अपने हिस्सेका दायित्व साहसपूर्वक पूरा करना चाहिए। अन्तमें महात्माजोने कहा कि मैं अध्यापकोंके कर्त्तव्य और उत्तरदायित्व पहले भी सूचित कर चुका हूँ; परन्तु यह काम अब 'यंग इंडिया' के स्तम्भोंमें लेख लिखकर और भी जोरके साथ और निश्चयात्मक ढंगसे करना चाहता हूँ।

[अंग्रेजीसे]

अमृतबाजार पत्रिका, २१-५-१९२५