टिप्पणियाँ १३. कर्नाटक ३७६ ३४४ १४. केरल १५. महाराष्ट्र ४०८ २९२ | । । १६१ ७२० ७०० १६. पंजाब ५० ५७४ ५० ७५४ ८०४t १७. सिन्ध ७३ १९२ १०७ २३४ ३४१ १८. तमिलनाड १९. उत्तरप्रदेश २०. उत्कल - लगभग १,४०० २३७ ४६७ १,४८४१ ३१०x ४,८६२ ४,४४१ ६८१ १,८८४ १५,३५५ + ख वर्गमें से १०३ ने परिवारके सदस्यों द्वारा कता हुआ सूत भेजा ।
- ४ जिलोंमें से ३ के आँकड़े प्राप्त नहीं हुए ।
4 मार्चकी भी कोई सूचना नहीं मिली । ↑ यह ज्ञात नहीं कि इनमें से कितनोंने वास्तवमें चन्दा दिया । १ ७८० सदस्य अवर्गीकृत हैं। x इनमें से केवल ११६ सदस्योंने अप्रैलका चन्दा अप्रैलके मध्यतक दिया है । ये अंक उन लोगोंके लिए, जो नये मताधिकारको मानते हैं या जो कांग्रेसको एक कार्यक्षम और कारगर तौरपर काम करनेवाली संस्था बनाना चाहते हैं, दिलचस्प और मनन करने योग्य हैं। नागपुर अधिवेशनमें केरल नया प्रान्त बनाया गया था । उससे बहुत काम करने और भारी त्याग दिखानेकी उम्मीद थी, परन्तु आज तो उसने कांग्रेसकी पुकार मानो सुनी ही नहीं है । उसने अ० भा० कांग्रेस कमेटीको कैफियततक देनेकी कृपा नहीं की। हाँ, वाइकोमके सत्याग्रहका श्रेय उसे अवश्य प्राप्त है; परन्तु कोई भी व्यक्ति या संस्था अपनी पिछली जमा पूंजीपर जीवित नहीं रह सकती। जो अपनी जमा पूंजीको बढ़ाता नहीं, वह तो जो है, उसे भी खो बैठता है । मध्य प्रान्त ( हिन्दी-भाषी) भी एक नया प्रान्त है । अबतक यह अपनी दिलेरीके लिए मश- हूर रहा है । पर वह एक गोलमोल संख्या भेजकर सन्तोष मान रहा है । मुझे इस ५००की संख्यापर भी सन्देह होता है । संख्या ४९९ या ५०१ क्यों नहीं है ? उसमें वर्गीकरण भी नहीं किया गया है। इसका मतलब समझाने के लिए कैफियत देनेकी जरूरत है। क्या संख्या ५०० से अधिक बढ़ी ही नहीं ? क्या किसीने नागा किया ही नहीं ? क्या ये सबके सब खुद कातनेवाले हैं? उन्होंने औरोंका काता सूत तो नहीं दिया है ? यदि उन्होंने दूसरोंका काता सूत नहीं भेजा है तो फिर उन्होंने अपना चन्दा किस तरह भेजा है ? क्या प्रान्तीय कमेटीने खुद ही सूत खरीदनेका भार अपने जिम्मे ले लिया है जिससे सदस्योंको सूत खरीदने और उसकी जाँच करनेकी तकलीफ न उठानी पड़े ? यदि कांग्रेसने यह काम अपने जिम्मे ले लिया हो तो उसने ऐसा किन शर्तोंपर किया है ? ये सवाल हैं जिनका उत्तर पानेके लिए सब इच्छक ह । आन्ध्रकी संख्या उसकी पुरानी कीर्तिके बिलकुल योग्य नहीं है। मेरे खयालसे इसका २७-११ Gandhi Heritage Portal