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रवीन्द्रनाथ ठाकुरसे बातचीत

कार्यसमितिको बैठक तो हुई ही नहीं, क्योंकि तीन ही सदस्य उपस्थित थे——जवाहरलाल, डॉ॰ नायडू और मैं। अणे साहब आनेवाले तो थे, लेकिन आये नहीं। इसलिए अजमेरके मामलेपर कोई विचार नहीं किया जा सका। फिर भी इसके बारेमें मुझसे मिलना जरूरी हो तो मिल जाना। हमें इस विषयमें घबरानेकी जरूरत नहीं। मैं अर्जुनलालजीको[१] खुद लिखनेवाला हूँ कि उन्हें जो-कुछ कहना हो वे मुझसे कहें।

आशा है, तुम सबकी तन्दुरुस्ती ठीक होगी। मैं ठीक हूँ। मैं आज शनिवारको बोलपुरमें हूँ और यहाँ सोमवारतक रहूँगा। मैं मंगलवारको कलकत्ता जाऊँगा और वहाँसे तीन दिनके लिए दार्जिलिंग। मैं बादका कार्यक्रम आजकलमें पक्का होनेपर भेजूँगा।

बापूके आशीर्वाद

मूल गुजराती पत्र (जी॰ एन॰ २८५२) की फोटो-नकलसे।

 

९६. रवीन्द्रनाथ ठाकुरसे बातचीत[२]

३० मई, १९२५

श्री गांधीने बड़ी ही सावधानीसे अपना अभिप्राय स्पष्ट करते हुए कहा कि मैं आधुनिक कालको जातियों और उपजातियोंके वर्गीकरणपर विश्वास नहीं करता, परन्तु मेरा विश्वास है कि समाजको प्रमुख [चार] व्यावसायिक वर्गोंमें बाँटना वैज्ञानिक दृष्टि से उचित है। मैं मानव-समाजके उस व्यावसायिक विभाजनको ही मानता हूँ जिसमें ऊँच-नीचका कोई सवाल नहीं होता; केवल समाज-व्यवस्थामें जो विभिन्न कार्य किये जाते हैं, उन्हींका सवाल होता है।

कविने आशंका व्यक्त की कि यदि समाजमें ऐसे व्यावसायिक विभाजन भी चिरकालतक चलाये जायें तो कालान्तरमें निष्फलताके सिवाय उनमें से और कुछ निष्पन्न नहीं होगा। कविने अपना यह मत व्यक्त किया कि इस व्यावसायिक विभाजनको जन्मपर आश्रित बना देना वैज्ञानिक और प्राकृतिक नहीं है। क्योंकि मानव-स्वभाव विविधता और व्यावसायिक चुनावमें व्यक्तिगत स्वतन्त्रताको अपेक्षा करता है।

२७–१२
  1. अर्जुनलाल सेठी; अजमेरके प्रसिद्ध क्रान्तिकारी और राष्ट्रसेवी।
  2. गांधीजी २९ मईको रातको बोलपुर पहुँच गये थे। सी॰ एफ॰ एन्ड्र्यूज और अन्य सज्जन उन्हें लेने आये थे। शान्तिनिकेतन पहुँच कर उन्हें कवि-निवासके एक फूलोंसे सजे हुए कमरेमें ले जाया गया। गांधीजीने कहा: "मैं सुहाग-रातके इस कमरेमें!" गुरुदेवने मुस्कराकर कहा: "हमारी हृदष-सम्राशी शान्ति- निकेतन-बाला आपका स्वागत करती है।" गांधीजी वहाँ तीन दिन रहे। इस बीच गुरुदेव और उनके बीच जो-जो बातें हुई उनका विवरण उपलब्ध नहीं है। सी॰ एफ॰ एन्ड्र्यूजले भी विभिन्न विषयोंके साथ-साथ चाय-बागानोंके मजदूरोंकी दशापर बातें हुई थीं। उन सबका विवरण भी उपलब्ध नहीं है।