पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 27.pdf/२९२

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१४८. तार : सतकौड़ीपति रायको

[खुलना
१७ जून, १९२५]

अकल्पित किन्तु ईश्वरेच्छा बलीयसी। अत्यावश्यक पूर्वनिर्धारित काम निबटानेके लिए पहली ट्रेन छोड़ रहा हूँ। दोपहरको चल रहा हूँ। दाह-संस्कारके प्रबन्धको अन्तिम रूप देनेके लिए कृपया मेरे पहुँचनेतक रुकिए। यदि मित्रोंको समुचित कारणोंके आधारपर आपत्ति न हो तो मेरे खयालसे शवको रसा रोड ले जाना चाहिए। राष्ट्रका काम कतई नहीं रुकना चाहिए, बल्कि उनकी महान् आत्मा और उच्चादर्शपूर्ण उदाहरणका अनुसरण करते हुए काम दुगुनी गतिसे आगे बढ़ना चाहिए। आशा है कि दलगत कलह शान्त हो जायेगा और सभी लोग बंगालके इस प्रिय नायक और भारतके एक महानतम सेवककी स्मृतिका सम्मान करनेमें हृदयसे शरीक होंगे। असमका दौरा रद कर रहा हूँ।

गांधी

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ १०६४४) की फोटो-नकलसे।

 

१४९. तार : उर्मिला देवीको

[खुलना
१७ जून, १९२५]

उर्मिला देवी

प्रियजनोंकी मृत्युसे दुःख होना स्वाभाविक। बहादुर विचलित नहीं होते। मैं चाहता हूँ कि तुम बहादुरीसे काम लो और हर आदमीको अपना सगा भाई बना लो। शामको पहुँच रहा हूँ।

गांधी

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ १०६४४) की फोटो-नकलसे।