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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

उत्तरदायित्व सम्भाल सकते हैं और कलकत्ताके नागरिकोंकी दृढ़तापूर्वक सेवा कर सकते हैं तो श्री सेनगुप्तका उपर्युक्त पद प्राप्त करना सर्वथा उपयुक्त है।

मेरा खयाल है कि मैंने आपको इसका कारण पूरी तौरपर बता दिया है कि मैंने श्री जे॰ एम॰ सेनगुप्तका नाम मेयरके पदके लिए क्यों पेश किया है। मैं उन आपत्तियोंसे अपरिचित नहीं हूँ जो अखबारोंमें उठाई गई हैं। मैं आपको निर्भीकतापूर्वक और सचाईके साथ यह बताना चाहता हूँ कि मैंने उनके नामकी सिफारिश किस कारण की है। यदि आपका यह खयाल है कि श्री सेनगुप्त अपने व्यक्तिगत या अपने दलके स्वार्थको सिद्ध करनेके लिए ही निगममें गये हैं तो यह सही नहीं है। यकीन कीजिए कि आप गलतीपर हैं। मैंने सुना है कि इसे 'टमानी हॉल' कहा गया है। किन्तु आप इस बातको अपने दिमागसे निकाल दें। इस प्रकारके तरीकोंको त्यागनेवालोंमें मेरा नाम सबसे आगे होगा। जिन तरीकोंके जरिये मेरा देश ऊपर उठ सकता है, वे ईमानदारीके ही तरीके हैं। यदि मैंने अपनेको कलकत्ताके मामलोंमें डाला है तो मैंने वैसा आपकी सेवा करनेके उद्देश्यसे ही किया है। मैंने इस प्रश्नपर हर पहलूसे विचार कर लिया है। श्री सेनगुप्तमें मेयरके पदका उत्तरदायित्व निभानेकी पूरी योग्यता है और यदि मैं उनकी हिमायतमें यह न कहता तो अन्याय होता कि यदि श्री सेनगुप्तके विरुद्ध कोई बात नहीं है तो उन्हें कलकत्ताका मेयर चुन लिया जाना चाहिए।[१]

उन्होंने कहा कि मैं सर ह्यूबर्ट कारके 'राजनीतिक सत्ताका दुरुपयोग करके अपना घर भरना' इन शब्दोंको पसन्द नहीं करता, क्योंकि संसारकी राजनीतिमें यह एक बहुत ही प्रचलित सिक्का है।[२] एक आपत्ति यह उठाई गई है कि श्री सेनगुप्त कलकत्ताके लिए एक बिलकुल अजनबी व्यक्ति हैं। मैं यह बात पहले नहीं जानता था। श्री सेनगुप्तकी शिक्षा करकत्तेमें हुई है और उन्होंने अपने जीवनका सर्वोत्कृष्ट भाग इसी नगरमें व्यतीत किया है।

मैं यह सिद्धान्त निर्धारित करना पसन्द करूँगा कि अन्य सब बातें समान होनेपर राजनीतिक दल जिसे भी सर्वोत्कृष्ट व्यक्ति समझे, उस व्यक्तिको निर्वाचित करनेका उसे अधिकार है।[३]

  1. सर ह्युबर्ट कार, हैरी हॉव्स तथा अन्य सदस्योंने अपने भाषणोंमें सेनगुप्तके मेयर पदके लिए निर्वाचनके प्रस्तावकी आलोचना की थी। गांधीजीने उन्हें इसका उत्तर संक्षेपमें दिया।
  2. २५ जुलाई, १९२५ के इंग्लिशमैनमें छपी रिपोर्टके अनुसार गांधीजीने कहा था : "...यदि यह राजनीतिक स्वार्थसाधना है तो यह सारे संसारमें अत्यन्त व्यापक रूपसे प्रचलित है। यह देखकर कि यह राजनीतिक संसारमें दीर्घकालसे प्रचलित है इसके लिए कुछ कम ग्लानिसूचक शब्द प्रयुक्त करना अधिक अच्छा होगा।"
  3. इंग्लिशमैन'की रिपोर्टके अनुसार गांधीजीने आगे कहा: "जबतक दलका स्वार्थ निगमके उच्चतम स्वार्थसे नहीं टकराता तबतक यदि वह राजनीतिक दल अपनी स्थितिको अच्छा बनानेके अवसरका लाभ उठानेसे चूकता है तो वह अपने प्रति हिंसा करता है। ...गांधीजीने कहा कि आप लोग सर ह्युबर्ट कारके इस कथनकी ओर जरा भी ध्यान न दें कि यह एक राजनीतिक स्वार्थसाधना है, क्योंकि स्वयं सरकारने राजनीतिक स्वार्थसाधनाका मार्ग अपनाया है।