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भाषण : यूरोपीय संघकी बैठकमें

मैंने श्री जे॰ एम॰ सेनगुप्तकी नामजदगीका समर्थन क्यों किया, किसी औरका क्यों नहीं? जैसा कि आप लोग जानते हैं, मैं कुछ महीनोंसे कहता आ रहा हूँ कि जहाँतक भारतीय राजनीतिका सवाल है, मैंने स्वराज्यवादियोंको अपना मुख्तार बना दिया है। मैंने देखा है कि वे त्यागकी क्षमता रखते हैं, अपने देशसे तो प्रेम करते ही हैं, और फिर भी अंग्रेजोंसे घृणा नहीं करते। इसीलिए मैंने अपना भाग्य स्वराज्यवादियोंके साथ जोड़ दिया है। मैंने आपके इतिहासका अध्ययन किया है। मैंने आपकी कुछ संस्थाओंको विकसित होते देखा है, उदाहरणके लिए दक्षिण आफ्रिकामें आप लोगों द्वारा संचालित कुछ संस्थाओंको अपनी आँखोंके सामने बढ़ते हुए देखा है। आज भारतमें स्वराज्यवादी दल सबसे शक्तिशाली राजनीतिक दल है। यह नहीं कि हम यह बात जान ही नहीं सकते बल्कि हम यह जाननेकी परवाह ही नहीं करते कि यूरोपीयों और भारतीयोंमें एक दूसरेसे इतना अलगाव क्योंकर पैदा हो गया है।

अंग्रेजोंके सबसे बड़े हितैषियोंमें से एक हमारे बीचसे उठ गया है। उसका स्थान अभी खाली है। उनके अनुयायियोंमें उसका जैसा जादू किसीके पास नहीं है। वे उसका भार उठाने में असमर्थ हैं।

इन्हीं शब्दोंमें महात्माजीने स्वर्गीय श्री चित्तरंजन दासका उल्लेख किया।

इसके बाद वे बोले कि मेरे दिमागमें पहला विचार यह आया था कि कलकत्ताका मेयर कोई मुसलमान होना चाहिए। मैं आपको याद दिलाना चाहता हूँ कि मैं हिन्दू-मुस्लिम एकताके प्रश्नमें कितनी दिलचस्पी लेता हूँ।[१]

यदि आपके बीच कोई योग्य और ईमानदार मुसलमान हो——उसके इन दोनों गुणोंके बारेमें फैसला तो केवल आप ही करेंगे——और यदि वह निगमकी सेवा दत्तचित्त होकर कर सकता है तो मेरा कर्त्तव्य होगा कि मैं इस पदके लिए उसके नामकी सिफारिश करूँ।

किन्तु दूसरे ही दिन एक मुसलमान नेता, मौलाना अबुल कलाम आजाद, मेरे पास आये। उन्होंने मुझसे कहा कि कोई भी मुसलमान इस पदके योग्य नहीं है, इसलिए उन्होंने मुझसे श्रीं जे॰ एम॰ सेनगुप्तकी सिफारिश करनेको कहा। अब सोचिए मौलाना अबुल कलाम आजादका न तो निगमसे ही कोई सम्बन्ध था और न स्वराज्यवादी दलसे हो। किन्तु वे भारतके योग्यतम मुसलमानोंमें से हैं। मैंने मौलानासे पूछा कि वे श्री जे॰ एम॰ सेनगुप्तको क्यों चाहते हैं, तो उन्होंने उत्तर दिया, "क्या आप स्वराज्यवादी दलमें एकता रहे, यह नहीं चाहते?"

गांधीजीने कहा कि मुझे चटगाँवमें श्री ज॰ एम॰ सेनगुप्तसे मिलनेका सुअवसर मिला था। श्री सेनगुप्तने कौंसिलमें विशेष योग्यताका परिचय दिया है। वे बंगाल स्वराज्यवादी दलके नेता तथा बंगाल प्रान्तीय कांग्रेस कमेटीके अध्यक्ष हैं। मुझे यह स्वीकार करना होगा कि मेरे विचारमें यदि उन्हें योग्य सहायक मिलें तो वे अपने कन्धोंपर इन तीनों पदोंका भार सँभाल सकते हैं। और यदि श्री सेनगुप्त मेयरका

  1. अनुवर्ती दो अनुच्छेद २५-७-१९२५ के इंग्लिशमैनमें छपे विवरणसे लिये गये हैं।