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२६. भाषण : जमशेदपुरकी सार्वजनिक सभामें[१]

९ अगस्त, १९२५ मानपत्रका उत्तर हिन्दीमें[२] देते हुए महात्मा गांधीने घोषित किया कि एक बैठकमें, जिसमें स्टील कम्पनीके संचालक-मंडलके अध्यक्ष श्री आर॰ डी॰ टाटा, श्री एन्ड्रयूज, श्री जवाहरलाल नेहरू के साथ-साथ में भी उपस्थित था, श्री टाटाने श्रमिक संघको, जिसमें यथाविधि निर्वाचित पदाधिकारी होंगे, मान्यता देनकी रजामन्दी जाहिर की है और यह भी स्वीकार किया है कि कम्पनी इस श्रमिक संघके सदस्योंके वेतनसे चन्देको रकम काट लिया करेगी। उन्होंने यह भी मंजूर किया कि समझौता और सद्भावनाके प्रतीकके रूपमें श्री जी॰ सेठीको, जिन्हें कम्पनीने बरखास्त कर दिया है और श्री टामसको, जो तबसे श्रमिक संघके अवैतनिक मन्त्रीके रूपमें काम कर रहे है, कम्पनी फिरसे नौकरी देगी। अलबत्ता इसके लिए संचालक-मंडलकी स्वीकृतिको अपेक्षा रहेगी।

श्री गांधीने यह आशा व्यक्त की कि श्रमिक संघ अपनी शक्ति मुख्य रूपसे श्रमिकों के कल्याण में लगायगा और जो रियायतें दी गई हैं, उनसे कम्पनी तथा उसके हजारों कर्मचारियोंके बीचका मतभेद समाप्त हो जायेगा।

इसके बाद श्री गांधीने श्रोताओंसे आग्रह किया कि आप लोग उन दो बड़ी बुराइयों से दूर रहें जो सारे भारतके मजदूर वर्गों में बुरी तरह घर कर गई हैं। ये बुराइयाँ आप लोगोंको खोखला बनाती जा रही हैं। उन्होंने आगे कहा :

जबतक आप मद्यपान बन्द नहीं करेंगे और सभी स्त्रियोंको अपनी माँ-बहनके समान नहीं समझने लगेंगे तबतक आप स्वराज्य नहीं प्राप्त कर सकेंगे।

[अंग्रेजीसे]
सर्चलाइट, १४–८–१९२५
 
  1. लगभग २० हज़ार लोगोंकी इस सभामें गांधीजीको हिंदी में एक मानपत्र और ५००० रुपयेकी थैली भेंट की गई थी, जिसका उत्तर देते हुए उन्होंने यह भाषण दिया था।
  2. मूल हिन्दी भाषण उपलब्ध नहीं है।