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२७. पत्र : वसुमती पण्डितको

श्रावण बदी ७ [१० अगस्त, १९२५ ][१]

चि॰ वसुमती,

तुम्हारा पत्र मिला। तुमने बहुत साफ-सुथरे अक्षर लिखे हैं। मैं हमेशा ऐसा ही चाहता हूँ। तुम दोनोंको जानकर प्रसन्नता होगी कि मेरा वजन लगभग आठ स्टोन, अर्थात् ११२ पौंड, हो गया है। यह जुहूमें १०६ या १०८ तक पहुँच चुका था। वजन जमशेदपुर अस्पतालमें लिया था।

दादाभाईको शतवार्षिकी ४ सितम्बरको आ रही है। उस समय मैं बम्बई आनेवाला हूँ।[२] इसलिए अब दो-चार दिन आश्रममें बिता सकूँगा। मुझे १२ वीं तारीखको बिहार पहुँच जाना चाहिए।

बापूके आशीर्वाद

मूल गुजराती पत्र (सी॰ डब्ल्यू॰ ५९१)की फोटो-नकल और एस॰ एन॰ ९३४६ से।
सौजन्य : वसुमती पण्डित
 

२८. सम्मति : दर्शक-पुस्तिकामें

[कलकत्ता]
१२ अगस्त, १९२५

मुझे वसुमती के कार्यालयों में ले जाया गया। इसके साज-सामानको देखकर मुझे खुशी हुई। मैं कार्यालय मालिकको उनकी सुरुचिके परिचायक कुछ सुन्दर और सस्ते प्रकाशनोंके लिए बधाई देता हूँ।

मो॰ क॰ गांधी

[अंग्रेजीसे]
प्रति (सी॰ डब्ल्यू॰ ५९९२) की फोटो-नकलसे।

 
  1. दादा भाईकी शतवार्षिकीके उल्लेखसे लगता है कि यह पत्र १९२५ में लिखा गया था। उस वर्ष भाषण वदी सप्तमी, १० अगस्त को पड़ी थी।
  2. गांधीजीने ४ सितम्बर, १९२५ को बम्बईमें हुई दादाभाई-शतवार्षिकी साकी अध्यक्षता की थी ‌