पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 28.pdf/९५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

 

३२. मुद्रा और कपड़ा मिल

नीचे त्रिचनापल्लीसे मिली एक शिकायत संक्षेपमें दी जा रही है :

यह देखकर बड़ा दुःख होता है कि आपने जितने भाषण दिये हैं, उनमें भारतको मुद्रा समस्याके सम्बन्ध में और भारत सरकार लन्दनके व्यापारियोंके हितसाधनके लिए विनिमयकी दरको ऊँचा करके देशी उद्योगोंको किस तरह बरबाद करनेका प्रयत्न कर रही है, इसके विषयमें एक भी शब्द नहीं कहा है। शायद आपकी राय यह है कि भारतमें सूती कपड़े के जो ३०० कारखाने शुरू किये गये हैं, वे राष्ट्र के लिए सम्पत्ति-रूप नहीं हैं, बल्कि लंकाशायरसे सस्ता विदेशी कपड़ा मँगानेसे लोगोंको ज्यादा फायदा पहुंचेगा। पिछले ३० सालतक एक रुपयके लिए १ शिलिंग ४ पॅसकी विनिमय दर बहुत अच्छी तरहसे काम करती रही। इस अवधि भी बम्बईके सूती कपड़के कारखाने भारी उत्पादन-करके कारण लंकाशायरके कपड़ेका मुकाबला नहीं कर पाते थे। कलकत्तेके पटसनके कारखानोंपर कोई उत्पादन-कर नहीं है, और वे पिछले आठ वर्षांतक १०० से ४०० प्रतिशततक लाभांश घोषित करते रहे। इस समय हमारे सूती कपड़े के कारखाने भयंकर व्यापारिक मन्दीमें से गुजर रहे हैं। इसका कारण यह है कि जब भारत सरकारने इंग्लेंडसे आयातको उत्तेजन देने के लिए १९२४ में रुपयकी दर, जो १९२३१ शिलिग ४ पस थी, बढ़ाकर १ शिलिंग ६ पेंस कर दी तबसे यहाँ लंकाशायरका बहुत-सा माल इकट्ठा हो गया है। जबतक खादी सस्ती नहीं की जाती तबतक लोगोंसे विदेशी कपड़ेको जलाने के लिए या सूत कातने और खादी पहनने के लिए कहना व्यर्थ है। विनिमयको वर्तमान ऊँची दरके कारण लंकाशायरकी स्पर्धासे खादी-उद्योग मिल-उद्योगसे भी जल्दी नष्ट हो जायेगा।

इन परिस्थितियोंमें मैं महात्माजीसे हार्दिक अनुरोध करता हूँ कि वे विनिमयकी वर्तमान नीतिके विरुद्ध और सूती कपड़ेके कारखानोंपर सिर्फ लंकाशायरके लाभके लिए अन्यायपूर्वक लगाये गये उत्पादन-करके विरुद्ध आन्दोलन करके भारतके औद्योगिक पुनरुत्थानकी ओर ध्यान दें।

इस पत्रको मैं इसलिए प्रकाशित नहीं कर रहा हूँ कि इसमें कोई खूबी है। इसके प्रकाशनका उद्देश्य तो लड़ाईके तरीकोंके सम्बन्धमें उस घोर अज्ञानको दूर करना है जो इस पत्रसे प्रकट होता है। इसमें कोई शक नहीं कि 'यंग इंडिया' के पृष्ठोंमें मैंने जिस तरह इस शासन-प्रणालीकी अन्य अनेक बुराइयोंकी—उदाहरणार्थ भारी सैनिक खर्चकी—चर्चा नहीं की है, उसी तरह मुद्राके सवालपर भी कुछ नहीं