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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

अपने गिरफ्तार किये जाने योग्य होनेका कोई कारण दिया ही नहीं था । किन्तु सरकारको सत्याग्रहियोंकी सुविधा तो देखनी नहीं थी, न उन्हें गिरफ्तार करनेका उचित अवसर ढूँढ़ना था। अधिकारियोंके लिए तो किसी कार्यकी इच्छा होना ही उसका अवसर होता है। श्री गोखलेने श्री वेस्टकी गिरफ्तारीका तार मिलते ही हिन्दुस्तानसे किसी समझदार आदमीको भेजनेका प्रयत्न आरम्भ कर दिया। लाहौरमें जब दक्षिण अफ्रिकाके सत्याग्रहियोंकी सहायताके लिए धन संग्रह करनेके निमित्त सभा की गई तब श्री एन्ड्रयूजने उसमें अपना सब संचित धन दे दिया था। श्री गोखलेकी नजर उनपर तभी से थी। इसलिए उन्होंने श्री वेस्टकी गिरफ्तारी की खबर मिलते ही श्री एन्ड्रयूजसे तार देकर पूछा, 'क्या आप इसी समय दक्षिण आफ्रिका जानेके लिए तैयार हैं ? श्री एन्ड्रयूजने तत्काल इसका उत्तर 'हाँ' में दिया। साथ ही उनके अत्यन्त प्रिय मित्र श्री पियर्सन भी जानेके लिए तैयार हो गये और वे दोनों पहले जहाजसे दक्षिण आफ्रिकाके लिए चल पड़े ।

किन्तु अब तो यह लड़ाई समाप्तिके समीप थी । दक्षिण आफ्रिकाकी सरकारमें इतनी शक्ति नहीं थी कि वह हजारों निर्दोष लोगोंको जेलमें बन्द रखती। इसे वाइस- राय भी बरदाश्त नहीं कर सकते थे; सारी दुनिया जनरल स्मट्स क्या करते हैं, यह देख रहीं थी । ऐसे समय में सामान्य सरकारें जो कुछ करती हैं वही दक्षिण आफ्रिकाकी सरकारने भी किया। उसे जाँच तो कुछ करनी नहीं थी । जो अन्याय किया गया था वह सर्वविदित था। सभी यह अनुभव कर सकते थे कि यह अन्याय दूर किया जाना चाहिए। जनरल स्मट्स भी देख सकते थे कि अन्याय हुआ है और उसका निराकरण किया जाना चाहिए; किन्तु उनकी हालत सांप-छछून्दर जैसी हो गई थी। उनके लिए न्याय करना तो आवश्यक था; किन्तु न्याय करनेकी उनकी शक्ति चली गई थी, क्योंकि उन्होंने दक्षिण आफ्रिकाके गोरोंको यह वचन दे दिया था कि वे स्वयं तीन पौंडके करको रद न करेंगे और कोई अन्य सुधार भी नहीं करेंगे। किन्तु अव करको रद करने और दूसरे सुधारोंके सिवा कोई दूसरा चारा ही न था । ऐसी कठिन स्थितियों में से निकलनेके लिए लोकमत से डरनेवाली सरकारें सदा आयोग नियुक्त किया करती हैं। वे उनकी मारफत नाममात्रकी जाँच करवाती हैं, क्योंकि ऐसे आयोगोंका परिणाम पहलेसे ही मालूम होता है और आयोगकी सिफा- रिशोंपर अमल किया ही जाना चाहिए, यह सामान्य प्रथा है । इसका अर्थ यह है कि आयोगकी सिफारिशका सहारा लेकर सरकारें जिसके सम्बन्धमें न्याय करनेसे इनकार कर देती हैं उसीके सम्बन्ध में फिर न्याय करती हैं । जनरल स्मट्सके आयोग में तीन सदस्य नियुक्त किए गये। हिन्दुस्तानी कौमने प्रतिज्ञा की कि जबतक आयोगके सम्ब- न्धमें कुछ शर्तोंका पालन नहीं किया जायेगा तबतक वह उसका बहिष्कार करेगी ।

१. आयोग ११ दिसम्बरको नियुक्त किया गया था। सर विलियम सॉलोमन इसके अध्यक्ष थे । दूसरे दो सदस्य थे ई० एसेलेन और जे० एस० वाइली ।

२. भारतीयोंने जोहानिसबर्ग, केपटाउन, डर्बन, मैरित्सबर्ग, किम्बलें, और पोंचेफस्ट्रममें विरोध सभाएँ भी कीं; देखिए खण्ड १२ ।