पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 29.pdf/२६७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२४१
दक्षिण आफ्रिकाके सत्याग्रहका इतिहास

जो सहायता दी है वह अमूल्य है। उनकी सहायता अन्ततक मिलती रहे, मैं यह भी चाहता हूँ । किन्तु मेरी प्रार्थना यह है कि आप हमारी स्थितिको समझें। इसमें हजारों लोगोंको प्रतिज्ञाका प्रश्न आता है। यह प्रतिज्ञा शुद्ध है। यह पूरी लड़ाई ही. प्रतिज्ञाओंको नींवपर खड़ी की गई है। यदि इन प्रतिज्ञाओंका बन्धन न होता तो हममें से बहुत से लोग आज बैठ रहे होते । यदि हजारों लोगोंकी प्रतिज्ञापर एक बार पानी फिर जाये तो फिर नीतिबन्धन जैसी बात ही नहीं रहेगी। इस प्रतिज्ञाको करते वक्त लोगोंने भली-भांति विचार कर लिया था। उसमें कोई अनैतिक बात तो है नहीं । कोमको आयोगके बहिष्कार करने की प्रतिज्ञा करनेका अधिकार अवश्य ही है। मैं चाहता हूँ कि आप भी यही सलाह दें कि यह प्रतिज्ञा किसी भी कारणसे भंग न हो और कितनी हो जोखिम उठाकर पाली जाये। आप यह तार लॉर्ड हार्डिंगको दिखा दें। मैं चाहता हूँ कि आपकी स्थिति विषम न हो। हमने यह लड़ाई ईश्वरको साक्षी रखकर उसकी सहायताके आधारपर ही आरम्भ की है। हम बुजुर्गों और वयोवृद्धोंको सहायताके आकांक्षी हैं; उनकी सहायता मिलेगी तो उससे हमें प्रसन्नता होगी; किन्तु वह मिले या न मिले, प्रतिज्ञाका बन्धन तो नहीं टूटना चाहिए। यह् मेरा विनम्र मत है। मैं इसके पालनमें आपका समर्थन और आशीर्वाद चाहता हूँ ।'

यह तार गोखलेको मिला। इसका प्रभाव उनके स्वास्थ्यपर तो पड़ा; किन्तु उनकी सहायतापर नहीं पड़ा, या यह कहना चाहिए कि पड़ा भी तो उससे उनकी सहायताकी गति ही बढ़ी। उन्होंने यह तार लॉर्ड हार्डिगको भेज दिया, किन्तु हमारा त्याग नहीं किया। उन्होंने इसके विपरीत हमारे दृष्टिकोणका समर्थन ही किया । लॉर्ड हार्डिंग भी अपनी वातपर कायम रहे ।

मैं एन्ड्रयूजको साथ लेकर प्रिटोरिया गया। उन्हीं दिनों संघीय रेलवेके गोरे कर्म- चारियोंकी व्यापक हड़ताल हुई थी। उस हड़तालके कारण सरकारकी स्थिति नाजुक हो गई। हड़तालियोंने हमें पत्र भेजा कि मैं हिन्दुस्तानियोंको लेकर कूच आरम्भ कर दूं। मैंने घोषणा की कि मेरे लिए हड़तालियोंको इस तरहकी सहायता देना सम्भव नहीं है। हमारा उद्देश्य सरकारको परेशान करना नहीं है। हमारी लड़ाई भिन्न प्रकार- की है। हमें कूच करना ही होगा तो जब रेलवेकी गड़बड़ी मिट जायेगी तब करेंगे। हमारे इस निश्चयका प्रभाव गम्भीर हुआ। रायटरने, इसकी खबर तारसे इंग्लैंड भेजी। इसपर लॉर्ड एम्टहिलने हमें इंग्लैंडसे तार भेजकर धन्यवाद दिया। दक्षिण आफ्रिकाके अंग्रेज मित्रोंने भी हमें धन्यवाद दिया। जनरल स्मट्सके मन्त्रीने विनोदमें कहा : “मुझे तो आपके लोग तनिक भी पसन्द नहीं है। मैं उनकी सहायता बिलकुल नहीं करना चाहता। किन्तु करें क्या ? आप लोग हमारी ऐसी खराब हालतमें मदद करते हैं। हम आपको बरबाद कैसे कर सकते हैं? मैं तो कई बार चाहता हूँ कि आप भी इन अंग्रेज हड़तालियोंकी तरह उत्पात करें तो हम आपको तुरन्त सीधा कर दें। किन्तु आप तो शत्रुको भी दुःख देना नहीं चाहते। आप स्वयं ही कष्ट सहन

१. देखिए खण्ड १२, पृष्ठ ३१६-१७।

२९-१६.