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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

जनरल स्मट्सने आयोगके सदस्यों में वृद्धि करने से इनकार कर दिया और हमें सूचित किया कि आयोग किसी पक्षको ध्यान में रखकर नियुक्त नहीं किया गया। सर- कारने उसकी नियुक्ति केवल अपने सन्तोषके लिए की है। इस उत्तरके अनुरूप हमारे पास एक ही उपाय था; हमने जेल जानेकी तैयारी करके यह घोषणा की कि १ जनवरी १९१४को डर्बनसे जेल-यात्री कूच करेंगे। हम १८ दिसम्बर १९१३को जेलसे छोड़े गये थे। हमने २१ तारीखको यह पत्र लिखा और हमें २४ तारीखको इसपर जनरल स्मट्सका उत्तर मिला।

किन्तु जनरल स्मट्सके उत्तरमें एक वाक्य इस तरहका था:

“आयोग निष्पक्ष और अदालती है और इसकी नियुक्तिमें मैंने न हिन्दुस्तानि- योंकी राय ली है और न खान-मालिकों या गन्ना उत्पादकोंकी।" मैंने जनरल स्मट्स- को इसके आधारपर पत्र लिखा और उन्हें सूचित किया कि यदि सरकार न्याय करना चाहती हो तो मुझे आपसे भेंट करनी है और आपके सम्मुख कुछ तथ्य रखने हैं। जनरल स्मट्सने इसका उत्तर देते हुए मुझसे भेंट करना स्वीकार कर लिया। इसपर हमारा कूच थोड़े दिनके लिए स्थगित हो गया ।

इस ओर जब गोखलेको यह मालूम हुआ कि हमें नया कूच करना है तब उन्होंने एक लम्बा तार भेजा। उन्होंने लिखा कि इससे लॉर्ड हार्डिंगकी और मेरी स्थिति कठिन हो जायेगी। उन्होंने हमें सलाह दी कि हम कूच करना स्थगित कर दें और आयोगके सम्मुख गवाही देकर उसकी सहायता करें ।

हमारे ऊपर धर्मसंकट आ गया । कौमने यह प्रतिज्ञा की थी कि यदि आयोगके सदस्य न बढ़ाये जायेंगे तो वह उसका बहिष्कार करेगी। लॉर्ड हार्डिंग नाराज हों और गोखले दुःखी हों तो यह प्रतिज्ञा कैसे भंग की जा सकती थी ? श्री एन्ड्रयूजने हमें सलाह दी कि हमें श्री गोखलेकी भावनाका और उनके बिगड़े हुए स्वास्थ्यका और उसपर हमारे निश्चयके सम्भावित आघातकारी प्रभावका खयाल करना चाहिए। मैं तो यह बात जानता ही था । नेताओंने आपसमें सलाह की और अन्तमें यह निर्णय किया कि यदि आयोगके सदस्योंमें वृद्धि न हो तो जोखिम मोल लेकर भी हमें इसके वहिष्कारपर दृढ़ रहना चाहिए। इसलिए हमने गोखलेको लगभग १०० पौंड खर्च करके एक लम्बा तार दिया। इस तारसे श्री एन्ड्रयूज भी सहमत थे । उसका आशय यह था :

“आपको कितना दुःख हुआ है यह हम समझते हैं। चाहे कुछ भी त्याग करना पड़े फिर भी आपकी सलाहपर अमल करनेकी मेरी इच्छा रहती ही है। लॉर्ड हार्डिगने

१. देखिए खण्ड १२, परिशिष्ट १५ ।

२. उपलब्ध नहीं है । भेंटको अनुमतिके लिए गांधीजीने २५ दिसम्बरको जो तार भेजा था इसके लिए देखिए खण्ड १२, पृ४ २८८-९।

३. गांधीजीने २२ और २३ दिसम्बरको तार द्वारा गोखलेको पूरी जानकारी भेजी थी।

४. देखिए खण्ड १२, पृष्ठ २९९-३०२ । यहाँ जिस तारका सारांश दिया गया है वह वस्तुत: २४ दिसम्बरको भेजा गया था। देखिए पृष्ठ २८६ तथा पृष्ठ २९०-१ ।