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७. टिप्पणियाँ
एक मूक सेवक

किसी भी देशके पास अपने महानतम सपूतोंके नामोंका लेखा नहीं रहता । अनमोल प्राचीन कृतियोंके लेखकोंके समान लोग केवल उनके कामको ही जानते हैं। ऐसे बहुतसे नवयुवक हैं जो अपने देशकी सेवामें प्राण दे देते हैं और उन्हें कोई नहीं जानता। मुझे ऐसे ही एक मूक सेवककी मृत्युका समाचार मिला है। वे आरामबाग, हुगली में खादीका काम करते थे । बहुत पहले बंगालके सबसे अधिक मले- रियावाले जिलेमें महामारीके दिनोंमें वे और उनके मित्र बीमारोंकी सेवाके लिए गये थे। वे गरीब लोगोंके बीच उन्हींके द्वारा खादी-प्रचारका कार्य आगे बढ़ानेके लिए वहीं ठहर गये थे। उनके एक मित्र और साथी कार्यकर्ता उनके बारेमें लिखते हैं:

" में हार्दिक दुःखके साथ अपने मित्र . • हाजराकी मृत्युका समाचार भेज रहा हूँ... वे केन्द्रके सर्वश्रेष्ठ कार्यकर्त्ता थे । . • वे केन्द्रके सर्वश्रेष्ठ 'परि- चारक' (नर्स) थे। . . वे अच्छी तरह काल सकते थे; वे बुनाई भी कर लेते थे। अब ईश्वरने उन्हें श्रेष्ठतर सेवाके लिए हमसे छीन लिया है और जैसा कि आपने सुन्दर ढंगसे व्यक्त किया है वहाँ वे और 'श्रेष्ठतर निर्देशन ' में सेवा कर सकेंगे। वे अपने पीछे माता-पिता और दो छोटे भाई छोड़ गये हैं । इश्वर उन महान् आत्माको मोक्ष प्रदान करे; तथा उनके माता-पिता और भाई उनके कार्यको जारी रखते हुए उनकी स्मृतिको बनाये रखें। हाजराके बारेमें मेरा निश्चित विश्वास है कि इस नश्वर शरीरका उनके लिए कोई उपयोग नहीं रह गया था, अतः वे इसको त्यागकर श्रेष्ठतर अवस्थाको प्राप्त कर चुके हैं।

किशोर - शाखा

कुछ छोटे बच्चोंने पत्र लिखकर पूछा है कि वे पक्के खादी पहननेवाले हैं और बहुत ही नियमपूर्वक कातते हैं, फिर वे खादीमण्डलके सदस्य क्यों नहीं बन सकते । उनमें एक नो सालकी लड़की भी है। हम मण्डलकी एक किशोर शाखा खोलनेके प्रस्तावपर गम्भीरतापूर्वक विचार कर रहे हैं। मैं एक छोटी बिटियाको इसका नेतृत्व करनेके लिए राजी करनेका प्रयत्न कर रहा हूँ । यदि इसके लिए पर्याप्त संख्या में बच्चे सामने न आये तो शाखाका कोई उपयोग न होगा ; और लाभ इससे तभी होगा जब बहुतेरे माता-पिता इसे सफल बनाने के लिए सहयोग करेंगे। प्रत्येक शाला, चाहे वह सरकारी हो या राष्ट्रीय, इस आन्दोलनमें मदद कर सकती है। इसी दृष्टिसे इसे राजनीति से दूर रखा गया है। जो लोग उसके राजनीतिक परिणामसे अर्थात्

१. अंशतः उद्धृत ।