पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 29.pdf/३०५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२७. टिप्पणियाँ
कातनेवालोंकी कठिनाइयाँ

एक कातनेवाले सज्जनने पूछा है, 'अखिल भारतीय चरखा संघके नियमोंके अनुसार उसके सदस्योंसे किस बातकी आशा की जाती है ? ' उनका कर्त्तव्य हाथ-कताई और खादीका प्रचार करना होगा। मेरे जैसा लोभी अध्यक्ष संघके सदस्यसे यह भी आशा रखेगा कि वह लोगोंमें जाकर उनसे खादी पहननेके लिए, नियमित रूपसे कातने तथा चरखा संघके सदस्य बननेके लिए कहे। मैं उससे यह भी कहूँगा कि सदस्य लोगोंमें फेरी लगाकर खादी बेचे, लोगोंको कातना सिखाये और मित्रोंसे संघके लिए दानके रूपमें धन माँगे। लेकिन आशा रखना एक बात है और आशाको पूरा करवा लेना दूसरी । इसलिए जब कोई शख्स संघका सदस्य बनता है और सदा निष्ठापूर्वक और परिश्रमके साथ कातता है और जहां कहीं कपड़ेकी आवश्यकता होती है वहाँ खादीका ही इस्तेमाल करता है तो यही कहा जायेगा कि कमसे-कम जितनी बातें उसे करनी चाहिए उतनी उसने कर ली हैं। अधिकांश सदस्य निस्सन्देह इन दो छोरोंके कहीं-न- कहीं मध्यमें रहेंगे।

दूसरे एक महाशय पूछते हैं, 'यद्यपि मेरी आदत खादी पहननेकी है, फिर भी कुछ मौकोंपर में विदेशी कपड़े भी पहन लेता हूँ । कातता तो नियमित रूपसे हूँ; ऐसी अवस्था में क्या मैं अखिल भारतीय चरखा संघका सदस्य बन सकता हूँ ?' मेरी समझमें ऐसे लोग चरखा संघके सदस्य नहीं बन सकते। आदतन खादी पहननेका अर्थ ही यही है कि असाधारण परिस्थिति और अनिवार्य कारणोंके सिवा दूसरे कपड़े कदापि न पहने जायें। संघके संस्थापक अपने सदस्योंकी संख्या बढ़ाने के लिए बहुत उत्सुक हैं; लेकिन वे उससे भी अधिक इच्छुक हैं उसके नियमोंका पूर्ण रूपसे पालन करनेवाले व्यक्तियोंको सदस्य बनानेके लिए। संघको उपयोगी बनानेके खयालसे यह आवश्यक है कि उसके सदस्य और कार्यकर्ता खादीमें अटल विश्वास रखनेवाले व्यक्ति हों। हमें इसके प्रति करोड़ों लोगोंमें श्रद्धा उत्पन्न करनी है। यदि हम इसमें पूरे दिलके साथ नहीं लगते तो हमें सफलता नहीं मिल सकेगी। जो लोग आदतन खादी नहीं पहन सकते वे अपना हाथ-कता सूत, रुपये, रुई इत्यादि भेज सकते हैं। वे और भी कई प्रकारसे इस आन्दोलनकी सहायता कर सकते हैं ।

नकली खादी

एक महाशयने नागपुरसे किसी कपड़ेके थानपर का लेबिल निकाल कर भेजा है। वे लिखते हैं कि भोले-भाले लोगोंको यह कपड़ा शुद्ध खादीके नामसे दिया जाता है और लोग उसे बहुधा अच्छी खादी मानकर खरीद भी लेते हैं । इस लेबिलपर मेरे चेहरे-से कुछ-कुछ मिलती-जुलती एक बहुत भोंडी तस्वीर और चरखेका चित्र बने हुए हैं इन्हें देखकर कपड़ेके खादी होने में लोंगोंका विश्वास और भी दृढ़ हो जाता होगा। ऐसी