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भाषण : कानपुर कांग्रेस अधिवेशनमें

को आगम झोंक दे। उसने एक जर्मन इंजीनियरको इस देशमें आने से रोका था। मुझे अंग्रेज जातिके चरित्रके सम्बन्धमें ठीक उसी प्रकार विश्वास है जिस प्रकार मनुष्य- स्वभावमें। लेकिन अंग्रेज जातिके स्वभावका एक लक्षण यह भी है कि वह अपने देशका हित पहले देखेगी। और वह हित रक्षा लंकाशायरको जीवित रखनेसे और हिन्दुस्तान जैसे देशोंमें उनकी इच्छाके विरुद्ध अपना घटिया माल भेजते रहनेसे ही हो सकती है। इन अंग्रेजोंके साथ लड़नेमें हमें अपना खून पानी करना होगा, पानी ! स्वराज्य प्राप्ति कोई खेल नहीं है वह कोई सस्ते दामों मिलनेवाली चीज भी नहीं है । उसे पानेके लिए भारतीयोंको अपनी गर्दन कटाने तकके लिए तैयार रहना ही चाहिए; वह मुफ्त में मिलनेवाली जिन्स नहीं है। आप लोग आज मेरा विरोध कर सकते हैं; लेकिन अब ऐसा समय आने ही वाला है कि जब आप सभी लोग कहेंगे कि गांधी जो कहता था सो सच था। इसलिए जबतक इस मामलेमें बहुमत मेरे पक्षमें है, तबतक में विपक्षी लोगोंसे प्रार्थनापूर्वक कहता हूँ कि वे इस प्रस्तावका विरोध इसलिए न करें कि इसे मानने में उन्हें थोड़ा-बहुत त्याग करना पड़ेगा ।

हम लोग ऐसा विश्वास क्यों न रखें कि हम कांग्रेसके सभी सदस्य प्रामाणिकता- पूर्वक काम करेंगे ? क्या हम इस बातकी आशा न रखें कि लोग अपने ही द्वारा पारित प्रस्तावोंको कार्यान्वित करेंगे ? हाँ, यदि आपको खादी पहननेमें सिद्धान्ततः आपत्ति हो अथवा वह बात आपकी अन्तरात्माके विरुद्ध पड़ती हो तो आपको कांग्रेस छोड़ देनी चाहिए? लेकिन कांग्रेसमें रहते हुए आप उसके प्रस्तावका अनादर नहीं कर सकते। जबतक मैं कांग्रेसमें हूँ तबतक उसके द्वारा पास किये गये प्रस्तावके अनुसार काम करना मेरा कर्त्तव्य है, भले ही मेरे द्वारा प्रस्तुत किये गये प्रस्तावके पक्षमें बहुत ही कम सदस्योंने मत क्यों न दिया हो।

आप लोग यह भी कहते हैं कि बहुमत अत्याचार कर रहा है। जरा सोचिए कि मुट्ठीभर लोग इस विशाल देशपर मनमाने ढंगसे शासन चला रहे हैं और आपके कानोंपर जूं तक नहीं रेंगती ? परन्तु सचाईके विरोधमें निराधार आपत्तियाँ उठाना . हमें जरूर आता है। मैं आपको सचेत कर रहा हूँ; याद रखें कि यदि आपने खादी- को, त्याग दिया तो जनता भी आपका परित्याग कर देगी। यदि आपने खादी छोड़ दी तो आपके तथा उदार दलवाले लोगोंके बीच फर्क ही क्या रह जायेगा? हम लोग कैसे विचित्र हैं। - हम स्वयं तो खादीका उपयोग नहीं करते और नेताओंसे उसके उपयोगकी आशा रखते हैं। मैंने जनताको सेवा बाबा साहबके समान भले ही न की हो, परन्तु इन दस वर्षोंकी अवधिमें मैंने जनसाधारणकी जो सेवा की है उससे मैं उसको भलीभाँति जान गया हूँ। यही कारण है कि आप लोगोंको म सचेत कर रहा हूँ और कहता हूँ कि खद्दरको त्याग देनेसे आपके हाथ कुछ न लगेगा ।

[ गुजरातीसे ]
नवजीवन, ३-१-१९२६