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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

होनेवाला है, रोकनेके लिए जितने साधन सम्भव हैं उन सबका उपयोग करनेके लिए तैयार है ? क्या भारत सरकार इसके लिए सम्राट्की सरकारपर दबाव डालेगी ? क्या हम लोग भारत सरकारको यह करनेके लिए मजबूर कर सकते हैं ?

'रायटर' द्वारा तारसे भेजे गये कांग्रेस प्रस्तावके विषयमें श्री एन्ड्रयूज कहते हैं: "कांग्रेसके रुखसे यहाँ सबको प्रसन्नता हुई है । "

अपने एक दूसरे तारमें उन्होंने सूचित किया है कि बिशप पाल्मरने उन्हें अपने समाजके सामने भारतीय प्रश्नपर बोलनेका अवसर दिया था और लोगोंपर उसका बहुत अच्छा असर पड़ा। इसी तारमें उन्होंने यह भी बताया है कि अनाक्रम प्रतिरोध- के जमानेमें जिस यूरोपीय समितिका गठन किया गया था, उसे पुनर्जीवित किया जा रहा है। इस तरह श्री एन्ड्रयूज सुदूर दक्षिण आफ्रिकामें वह सब कुछ कर रहे हैं जो किसी एक व्यक्तिके द्वारा अन्याय रोकनेकी दिशामें करना सम्भव हो सकता है।

बिशप फिशरकी पुस्तिका

पाठकोंको याद होगा कि अमेरिकी मिशनके बिशप फिशरंने अभी हालमें दक्षिण आफ्रिकाकी यात्रा की थी। उन्होंने अपनी यात्राके संस्मरण "नेशनल क्रिश्चियन कौंसिल रिव्यू " द्वारा व्यक्त किये हैं। एसोसिएटेड प्रेस, कलकत्ताने उसे पुस्तिकाके रूपमें प्रकाशित किया है। उसका दाम दो आना है। दक्षिण आफ्रिकामें भारतीयोंके प्रश्नका इतिहास इस विवरणमें बहुत ही सुन्दरताके साथ संक्षिप्त रूपमें दिया गया है। अपनी भूमिकामें बिशप कहते हैं:

इसकी यथार्थता प्रमाणित है ही। भारतीयोंके साथ जो अन्यायपूर्ण और अपमानजनक व्यवहार किया जा रहा है, उसे बढ़ा-चढ़ाकर नहीं, घटाकर लिखा गया है।

मेरा नम्र निवेदन है कि जिन लोगोंको इस कठिन समस्याके प्रति रुचि है, उन्हें यह पत्रिका अवश्य पढ़नी चाहिए।

[अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, ७-१-१९२६

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