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११२. टिप्पणियाँ

उत्तम व्यवस्था

प्रतिनिधियोंके रहने और भोजनकी उत्तम व्यवस्थाके लिए स्वागत समिति हार्दिक बधाईकी पात्र है। ऐसी सुन्दर व्यवस्था पहले कभी नहीं हुई थी। सफाईकी व्यवस्था में भी कोई कोर-कसर नहीं थी। भोजन भी शाहाना ढंगका था । न तो किसीको इन्त- जार करना पड़ा और न किसी चीजकी कमी महसूस हुई। अपने असंख्य स्वयंसेवकों- के साथ लाला फूलचन्द एक आदर्श मेजमान थे। जैसा और जितनी मात्रामें स्वादिष्ट भोजन परोसा गया था, वह निःसन्देह काफी खर्चीला था और गरीब शहरोंके लिए वैसी व्यवस्था करना कठिन होगा। प्रदर्शनी भी आशासे अधिक शानदार थी। सभी सुन्दर वस्तुओंके बीच शुद्ध खादी ही मुख्य बिन्दु थी। चीजोंको बड़े कौशलके साथ कमसे सजाकर खादी और चरखेका विकास बड़े प्रभावशाली ढंगसे दिखाया गया था। लेकिन इसका विस्तृत वर्णन किसी अगले अंकम किया जायेगा।[१]

श्री एन्ड्रयूजकी हलचल

श्री एन्ड्रयूज जबसे दक्षिण आफ्रिका गये हैं अनवरत परिश्रम कर रहे हैं। समाचारपत्रोंको तार भेजने के अलावा उन्होंने कांग्रेस अधिवेशनके दिनोंमें कानपुर भी नियमपूर्वक तार भेजे थे। एक तारमें लिखते हैं :

१९१७ में शाही मन्त्रिमण्डलमें जनरल स्मट्सने दक्षिण आफ्रिकामें रहनेवाले भारतीयोंके सम्बन्धमें यह बात कही थी कि यदि किसी प्रश्नके सम्बन्धमें कोई मुश्किल दरपेश हो तो हम लोग उसपर साम्राज्यके इस मन्त्रणास्थान में मित्र-भावसे चर्चा कर सकते हैं और आपसमें विचार करके उसका कुछ-न-कुछ हल निकालनेका प्रयत्न कर सकते हैं। और मुझे यकीन है कि इस प्रकार हम उसका निबटारा अवश्य कर सकेंगे।

इसके बाद वे तारमें पूछते हैं :

जनरल स्मट्सके इस वचनको देखकर क्या हमारी यह माँग उचित नहीं है कि जबतक ऐसी मन्त्रणा न कर ली जाये तबतक विधेयकको रोक रखना चाहिए ?

इस विधेयकको रोकनेके लिए दूसरी बहुत-सी बातें उचित गिनी जायेंगी और इसे खत्म करनेके लिए भी दूसरे कितने ही उपाय उचित माने जायेंगे। लेकिन उन्हें करेगा कौन ? क्या सम्राट्की सरकार इस बड़े भारी अन्यायको, जो निकट भविष्यमें

  1. १. यह विवरण नवजीवनके ३-१-१९२६ के अंकमें प्रकाशित हुआ था। देखिए " कांग्रेस ”, ३-१-१९२६।