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११५. पत्र : बी० जी० हॉनिमैनको

साबरमती

९ जनवरी, १९२६

प्रिय मित्र,

हार्दिक स्वागत। कितना अनपेक्षित और सुखकर। आशा है आप अच्छे हैं और संघर्षकी क्षमता पहले जैसी ही बनी है।

हृदय से आपका,

मो० क० गांधी

[अंग्रेजी से]

बॉम्बे क्रॉनिकल १३-१-१९२६

११६. पत्र: देवचन्द पारेखको

शनिवार [९ जनवरी, १९२६][१]

भाई देवचन्दभाई,

तुम्हारा पत्र मिला। मैं तो अब क्षेत्र संन्यास ले चुका हूँ। इसलिए अध्यक्ष मुझे तो कैसे बनाया जा सकता है ? तुम चाहो तो जवाहरलाल नेहरू मिल सकते हैं।

भाई फूलचन्द, जयसुखलाल और रामदास यही है। नारणदासको बुलाया है। वह आये तो अमरेलीके सम्बन्धमें कुछ निर्णय किया जा सकेगा।

बापूके वन्देमातरम्

गुजराती पत्र (जी० एन० ५७०८) की फोटो-नकलसे।

  1. १. डाककी मुहरसे।