पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 29.pdf/४२१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३९५
दस्तूरी और बम्बईके भंगी


भेज रहा (रही) हूँ (या मैं क/ख श्रेणीके सदस्य के रूपमें पहले भेज चुका (चुकी) हूँ।) मेरी आयु...वर्ष और पेशा...है।

हस्ताक्षर

दिनांक...
* कमेटीका नाम लिखे।

चरखा संघके जो सदस्य संघके चन्देके रूपमें अपने हाथसे कता (कमसे-कम दो हजार गज) सूत भेज चुके हैं, उन्हें इस वर्षके लिए और अधिक सूत भेजनेकी आवश्यकता नहीं है।

[अंग्रेजीसे]

यंग इंडिया , १४-१-१९२६

१३४. दस्तूरी और बम्बईके भंगी

मेरे पास कुछ ऐसे कागज़ भेजे गये हैं जिनमें मेरे बारेमें यह कहा गया है कि मैंने १९१८ में और बातोंके साथ यह भी कहा था कि " (बम्बई नगर निगममें नियुक्त भंगियों द्वारा दी जानेवाली कथित घूसके बारेमें जिसे बोलचालको भाषामें दस्तूरी कहते हैं) जो गवाहियाँ और बयान दिये गये हैं उन्हें कोई भी निष्पक्ष व्यक्ति सच नहीं मान सकता।" उन कागजोंसे यह भी मालूम होता है कि वर्तमान म्युनिसिपल कमिश्नरने मेरे उस कथनको अपने निर्णयके पक्षमें उद्धृत किया है कि कर्मचारियों द्वारा कोई दस्तूरी नहीं दी जाती। मुझे याद नहीं है कि १९१८ में मैंने क्या कहा था, लेकिन मेरा खयाल है कि आजसे सात वर्ष पहले दिये गये प्रमाणको उसी प्रकारके किसी ताजे दोषारोपणका खण्डन करनेके लिए उद्धृत करना उचित अथवा न्यायसंगत नहीं है। यदि यह मान भी लिया जाये कि १९१८ में स्वास्थ्य अधि कारीसे हुई मेरी बातचीतकी यह रिपोर्ट सही है, और जिन गवाहोंसे मैंने उस समय पूछताछ की थी, उनमें से कुछकी गवाही विश्वसनीय नहीं थी, तो इसका यह मतलब नहीं होता कि उस समय वहां घूसखोरी या भ्रष्टाचार था ही नहीं; या कि जिन लोगोंने अभी हालमें गवाहियाँ दी हैं, वे अविश्वसनीय हैं। मैं यह जानता हूँ कि श्री ठक्कर, जिनकी निष्पक्ष निर्णय देनेकी क्षमतापर सन्देह किया गया है और जिन- पर सरकारी अफसरोंके प्रति द्वेष रखनेका आरोप किया गया है, ऐसे दोषारोपणके पात्र कदापि नहीं हैं। हमारे पास श्री ठक्कर जैसे ईमानदार और निष्पक्ष सार्वजनिक कार्यकर्ता बहुत कम हैं। वह जानबूझ कर किसी व्यक्तिको गलत नहीं समझेंगे। क्योंकि उन्हें अपना कोई निजी हितसाधन नहीं करना है और न उन्हें अपनी किसी गलतीको छिपाना ही है। जहाँतक घूसखोरीके दोषारोपणका सम्बन्ध है, मैं यह कहना चाहता हूँ कि सात वर्षके अवलोकनके बाद मैं इस निष्कर्षपर पहुँचा हूँ कि अन्य जगहोंकी भाँति नगर निगम में भी घूसखोरी फैली हुई है। मैं यह भी स्वीकार करता हूँ कि