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दक्षिण आफ्रिका सत्याग्रहका इतिहास

दूसरा व्यावहारिक कारण भी है और वह यह है कि नेटालमें अंग्रेजोंकी संख्या अधिक है, केप कालोनीमें अंग्रेजों की संख्या यद्यपि बोअरोंसे अधिक नहीं है फिर भी खासी है और जोहानिसबर्ग में तो पूरा अंग्रेजोंका ही प्रभाव है । इसलिए यदि बोअर समूचे दक्षिण आफ्रिकामें स्वतन्त्र प्रजातन्त्रीय राज्य स्थापित करना चाहें तो दक्षिण आफ्रिकी गोरोंमें आपस में ही झगड़ा खड़ा हो जायेगा और शायद आपसमें गृहयुद्ध भी हो जाये । इसी कारण दक्षिण आफ्रिका ब्रिटिश उपनिवेश बना हुआ है ।

दूसरा व्यावहारिक कारण भी है और वह यह है कि नेटालमें अंग्रेजोंकी संख्या अधिक है, केप कालोनीमें अंग्रेजों की संख्या यद्यपि बोअरोंसे अधिक नहीं है फिर भी खासी है और जोहानिसबर्ग में तो पूरा अंग्रेजोंका ही प्रभाव है । इसलिए यदि बोअर समूचे दक्षिण आफ्रिकामें स्वतन्त्र प्रजातन्त्रीय राज्य स्थापित करना चाहें तो दक्षिण आफ्रिकी गोरोंमें आपस में ही झगड़ा खड़ा हो जायेगा और शायद आपसमें गृहयुद्ध भी हो जाये । इसी कारण दक्षिण आफ्रिका ब्रिटिश उपनिवेश बना हुआ है । दक्षिणी अफ्रिकी संघका संविधान कैसे बना यह बात भी जानने योग्य है । चारों उपनिवेशोंकी विधानसभाने एकमत होकर यह संविधान बनाया। ब्रिटिश संसदको इसे जैसाका - तैसा स्वीकार करना पड़ा। ब्रिटिश लोकसभाके एक सदस्यने उसकी एक व्याकरण सम्बन्धी अशुद्धिकी ओर ध्यान आकर्षित किया था और उसे शुद्ध करनेका सुझाव रखा था; किन्तु स्वर्गीय सर हेनरी कैम्बैल बैनरमैनने उनका वह सुझाव अस्वीकार कर दिया। उन्होंने कहा कि राजकाज शुद्ध व्याकरणसे नहीं चला करता । यह संविधान ब्रिटिश मन्त्रिमण्डल और दक्षिण आफ्रिकाके मन्त्रियोंके पारस्परिक विचार- विमर्श के फलस्वरूप बना है। उसने अपनी व्याकरण सम्बन्धी अशुद्धि ठीक करनेका अधिकार ब्रिटिश संसदको नहीं दिया है। इसलिए वह संविधान कामन-सभा और लॉर्ड-सभा दोनोंमें ज्योंका-त्यों ही स्वीकार किया गया ।

इस प्रसंगमें एक तीसरी बात भी उल्लेखनीय है : संविधानमें कुछ धाराएँ ऐसी हैं जो तटस्थ पाठकोंको अवश्य ही व्यर्थ लगेंगी। उनके कारण खर्च भी बहुत बढ़ा है । यह बात संविधानके निर्माताओंके ध्यानसे बाहर भी नहीं थी; किन्तु उनका उद्देश्य संविधानको सर्वांगपूर्ण बनाना नहीं, बल्कि पारस्परिक आदान-प्रदानसे एक मत होकर संविधान बनानेके प्रयत्नको सफल बनाना था । इसीलिए इस समय दक्षिण आफ्रिकी संघकी चार राजधानियाँ मानी जाती हैं, क्योंकि संघ में सम्मिलित उपनिवेशोंमें से कोई भी अपनी राजधानीका महत्व छोड़नेके लिए तैयार नहीं था । चारों उपनिवेशोंकी स्थानीय विधान सभाएँ भी बरकरार रखी गई हैं। चारों उपनिवेशोंमें गवर्नर-जैसा अधिकारी रखना भी आवश्यक है, इसलिए ऐसे चार अधिकारी रखनेकी बात स्वीकार की गई है। सभी लोग यह समझते हैं स्थानीय विधान सभाएँ, चार राजधानियाँ और चार प्रमुख अधिकारी अजा- गल-स्तनकी तरह निरुपयोगी और नितान्त आडम्बर रूप है। किन्तु दक्षिण आफ्रिकाके व्यवहारकुशल मन्त्री इससे डरनेवाले नहीं थे ? आडम्बर होनेपर भी और खर्च बढ़नेपर भी चारों संस्थानोंका एकमत होना वांछ- नीय था । इसलिए उन्होंने बाहरी दुनियाकी आलोचनाकी चिन्ता न करके जो कुछ उचित लगा वह किया और उसे ब्रिटिश संसदसे स्वीकार करवाया ।

इस प्रकार मैंने दक्षिण आफ्रिकाका यह अत्यन्त संक्षिप्त इतिहास पाठकोंकी जानकारीके लिए देनेका प्रयत्न किया है। मुझे ऐसा लगता था कि इसके बिना सत्याग्रहकी इस महान् लड़ाईका रहस्य नहीं समझा जा सकता। अब मूल विषयपर आने से पूर्व हमें यह देखना है कि हिन्दुस्तानी इस प्रदेशमें कैसे आये और सत्याग्रह कालसे पहले अपने ऊपर आनेवाली विपत्तियोंसे कैसे जूझे ।