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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

सफल हो सकेंगे। नाटकमें भी मुख्य पात्रके बिना काम नहीं चलता। तब इस कठि- नाई-भरे संसारमें यदि कोई शासन-संचालक मुख्य पात्रको भुलाकर सफलतापूर्वक शासन चलानेकी आशा रखे तो वह पागल ही माना जायेगा। सचमुच लॉर्ड मिलनरकी दशा भी ऐसी ही हुई। उस समय यह भी कहा जाता था कि लॉर्ड मिलनरने जनरल बोथाको धमकी तो दे दी, किन्तु उनके बिना ट्रान्सवाल और ऑरेन्ज फ्री स्टेटका शासन चलाना लॉर्ड मिलनरके लिए इतना कठिन हो गया कि वे अपने बागमें सिर झुकाये चिन्तित और व्याकुल भावसे घूमते दिखाई देने लगे। जनरल बोथाने स्पष्ट कहा कि उन्होंने वेरीनिगिंगकी सन्धिका अर्थ साफ-साफ यह समझा था कि बोअर लोगोंको अपने प्रदेशोंकी आन्तरिक व्यवस्था करनेका पूरा अधिकार तुरन्त दे दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि यदि वे ऐसा न समझते तो सन्धिपर कभी हस्ताक्षर न करते। इसके उत्तरमें लॉर्ड किचनरने कहा कि उन्होंने जनरल बोथाको इस तरहका कोई आश्वासन नहीं दिया था। बोअर लोग ज्यों-ज्यों अपनी विश्वासपात्रता सिद्ध करते जायेंगे त्यों-त्यों उनको धीरे-धीरे स्वतन्त्रता मिलती जायेगी। अब इन दोनोंके बीच निर्णय कौन करता? यदि कोई पंचकी नियुक्तिका प्रस्ताव करता तो जनरल बोथाको वह भी क्यों कर स्वीकार हो सकता था? ऐसे समयमें ब्रिटिश सरकारने जो निर्णय किया वह उसके लिए सर्वथा शोभनीय था। उसने यह स्वीकार किया कि विरोधी पक्ष – उसमें भी निर्बल पक्ष - समझौतेका जो अर्थ करे सबल पक्षको वही अर्थ मानना चाहिए । न्याय और सत्यकी दृष्टिसे तो सदा यही ठीक हो सकता है। हमने अपने कथन या लेखका अपने मनमें जो भी अर्थ किया हो, फिर भी हमें मानना चाहिए कि उसे पढ़कर अथवा सुनकर पाठक अथवा श्रोतापर उसका जो भी प्रभाव पड़े हमने वह बात उसी अर्थमें कही या लिखी थी। हम बहुत बार व्यवहारमें इस स्वर्ण नियमका पालन नहीं करते। इस कारण बहुतसे झगड़े खड़े हो जाते हैं और सत्यके नामपर अर्ध-सत्य अर्थात् ठीक तरहसे देखें तो दुगुना असत्य व्यवहारमें आता है।

इस प्रकार सत्यके -- -यहाँ जनरल बोथाके - पक्षकी पूरी जीत होनेपर ही जनरल बोथांने शासनको सहयोग दिया और उसीके परिणामस्वरूप चारों उपनिवेश, एक हुए तथा दक्षिण आफ्रिकाको पूर्ण स्वतन्त्रता मिली। दक्षिण आफ्रिका झण्डा एक यूनियन जैक, है। नक्शेमें इस प्रदेशका रंग लाल है। फिर भी यह माननेमें कोई अति- शयता नहीं कि दक्षिण आफ्रिका पूर्णतया स्वतन्त्र है। ब्रिटिश साम्राज्य दक्षिण आफ्रिकासे शासकोंकी अनुमतिके बिना एक पाई भी नहीं ले जा सकता। इतना ही नहीं बल्कि ब्रिटेनके मन्त्रियोंने यह भी माना है कि यदि दक्षिण आफ्रिकाके लोग अंग्रेजी झण्डेको हटाना चाहें और नाम मात्रके सम्बन्ध भी छोड़ देना चाहें तो उनको ऐसा करने से कोई भी नहीं रोक सकता। दक्षिण आफ्रिकाके गोरोंने आज यह कदम नहीं उठाया है तो इसका एक प्रबल कारण यह है कि बोअरोंके नेता चतुर और समझदार हैं । यदि वे ब्रिटिश साम्राज्यसे ऐसा साझा अथवा सम्बन्ध रखते हैं जिससे उनकी कोई हानि नहीं होती तो इसमें कोई अनुचित बात नहीं है। किन्तु इसके अतिरिक्त एक