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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

 

मेरे लिए चरखा देशके सबसे गरीब लोगोंके साथ समानता स्थापित करनेका प्रतीक है और उसपर प्रतिदिन सूत कातना उन गरीबों और अपने बीचके उस सम्बन्धको नये सिरेसे जोड़ना है। इस प्रकार समझनेपर वह मेरे लिए सदैव सौन्दर्य और आनन्दकी वस्तु है। मैं बिना भोजनके रहना पसन्द करूँगा, किन्तु बिना चरखेके नहीं; और मैं कहूँगा कि तुम चरखेके इस महान् तात्पर्यको समझो। यदि तुम्हें कताई करनी हो तो मैं तुमसे यह आशा नहीं करता कि तुम ऐसा महज इसलिए करो कि मैंने कताईको अच्छा बताया है या कांग्रेसने सिफारिश की है अथवा इस खयालसे कि उससे कोई आर्थिक लाभकी सम्भावना है।

में कुछ-न-कुछ शक्ति रोज प्राप्त करता जा रहा हूँ।

तुम सबको प्यार,

तुम्हारा,

बापू

श्रीमती एस्थर मैनन

पोर्टोनोवो (एस० आई० आर०)

अंग्रेजी पत्रकी फोटो-नकलसे।

सौजन्य : नेशनल आर्काइव्ज ऑफ इंडिया