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दक्षिण आफ्रिकाके सत्याग्रहका इतिहास

होटलों में कदाचित् ही ठहर सकते थे, हिन्दुस्तानियोंके प्रति अपमानजनक व्यवहार तो वहाँ भी था - फिर भी वहाँ वाणिज्य-व्यापार अथवा जमीनके स्वामित्वके बारेमें बहुत समयतक कोई रोकथाम नहीं थी ।

यहाँ मुझे इस स्थिति के कारण देने चाहिए। एक तो मुख्यत: केपटाउन और सामान्यतः केप कालोनी में मलायी लोगोंकी खासी आबादी थी । यह बात हम पहले ही लिख चुके हैं। मलायी लोग मुसलमान हैं, इसलिए जल्दी ही हिन्दुस्तानी मुसल- मानोंसे उनके सम्बन्ध बन गये और उनकी मार्फत दूसरे हिन्दुस्तानियोंसे भी उनका थोड़ा-बहुत सम्बन्ध तो हुआ ही। फिर कुछ हिन्दुस्तानी मुसलमानोंके मलायी स्त्रियोंसे विवाह-सम्बन्ध भी हुए। केपकी सरकार मलायी लोगोंके विरुद्ध किसी प्रकारका कानून तो बना हो कैसे सकती थी ? केप कालोनी उनकी जन्म भूमि थी और उनकी भाषा भी डच थी । वे लोग डचोंके साथ पहलेसे रहते चले आते थे, इसलिए रहन-सहनमें भी उन्होंने उनका अनुकरण किया है। इन कारणोंसे केप कालोनीमें सदा ही रंग-द्वेष बहुत कम रहा है।

फिर केप कालोनी सर्वाधिक पुराना उपनिवेश है और दक्षिण आफ्रिकामें शिक्षाका केन्द्र है। इस कारण वहाँ प्रौढ़, विनयशील और उदार हृदय गोरे भी उत्पन्न हुए हैं। मेरा मत तो यह है कि दुनियामें कोई जगह या कोई जाति ऐसी नहीं है, जहाँ या जिसमें उपयुक्त अवसर मिले या उचित शिक्षा दी जाये तो सुन्दरसे सुन्दर मानव- पुष्प न खिल सकें। मैंने सौभाग्यसे दक्षिण आफ्रिकामें सभी जगह इसके उदाहरण देखे हैं। किन्तु केप कालोनी में ऐसे लोगोंकी संख्या बहुत अधिक थी। इन लोगों में सबसे अधिक प्रसिद्ध और विद्वान श्री मेरीमैन हैं। ये केप कालोनीमें १८७२ में उत्तर- दायी शासन मिलनेके बाद मन्त्री बनाये गये थे और उसके बादके मन्त्रिमण्डलमें भी सम्मिलित रहे । जब १९१० में दक्षिण आफ्रिकी संघ बना तब ये अन्तिम मन्त्रिमण्डलमें प्रधान मन्त्री थे । वे दक्षिण आफ्रिकाके ग्लेड्स्टन माने जाते हैं। श्री मेरीमैनके बाद श्री मॉल्टेनो और श्री श्राइनरके परिवार हैं। सर जॉन मॉल्टेनो १८७२ में कालोनीके प्रथम मन्त्रिमण्डलमें प्रधान मन्त्री थे। श्री डब्ल्यू० पी० श्राइनर प्रसिद्ध वकील हैं। वे कालोनीके अटर्नी जनरल और प्रधानमन्त्री रह चुके हैं। उनकी बहन ऑलिव श्राइ- नर दक्षिण आफ्रिकाकी लोकप्रिय महिला हैं और जहाँ अंग्रेजी भाषा बोली जाती है वहाँ सर्वत्र प्रसिद्ध हैं। उनको मनुष्य-मात्रसे असीम प्रेम है। इन महिलाने जबसे 'ड्रोम्स' नामकी पुस्तक लिखी है, तबसे वे 'ड्रीम्स की लेखिकाके नामसे प्रसिद्ध हैं। ये इतनी सरल स्वभावकी थीं कि ऐसे प्रसिद्ध परिवारमें उत्पन्न होने और इतनी विदुषी होने- पर भी वे अपने घरमें बर्तन भी स्वयं ही साफ करती थीं। श्री मेरीमैन और इन दोनों परिवारोंने हब्शियोंका पक्ष सदा लिया और उनके अधिकारोंपर जब-जब हाथ डाला गया है तब-तब उनके पक्षका प्रबल समर्थन किया है। हिन्दुस्तानियोंके प्रति भी उनका प्रेम ऐसा ही प्रबल था; यद्यपि ये सभी लोग हिन्दुस्तानियों और हब्शियोंके बीच भेद करते थे । दलील यह है कि हब्शी दक्षिण आफ्रिकामें बोअरोंके आनेसे पहलेसे रहते हैं, इसलिए गोरे उनके स्वाभाविक अधिकारोंको नहीं छीन सकते। किन्तु