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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

में मनसुखलाल नाजरका उल्लेख पिछले प्रकरणमें कर चुका हूँ। हमने उन्हें इंग्लैंडके लोगोंको यह प्रश्न अधिक अच्छी तरह समझानेके लिए हिन्दुस्तानी समाजकी ओरसे इंग्लैंड भेजा था और यह समझा दिया था कि वे सभी पक्षोंको साथ लेकर चलें। वे जबतक वहाँ रहें तबतक स्व० सर विलियम विल्सन हंटर, सर मंचरजी भावनगरी ओर ब्रिटिश समितिके सम्पर्कमें रहें। वे साथ ही हिन्दुस्तानसे पेंशन प्राप्त भूतपूर्व अधिकारियों, भारत मन्त्रीके कार्यालय और उपनिवेश विभाग आदिसे भी सम्पर्क रखते थे। इस प्रकार हमने यथासम्भव हर दिशामें प्रयत्न करनेमें कुछ उठा नहीं रखा। इस सबका परिणाम स्पष्ट रूपसे यह हुआ कि हिन्दुस्तानसे बाहर रहनवाले हिन्दुस्तानियोंकी स्थिति ब्रिटिश सरकारके लिए एक बड़ा प्रश्न बन गई और उसका अच्छा और बुरा प्रभाव दूसरे उपनिवेशोंपर भी पड़ा। इससे जहाँ-जहाँ हिन्दुस्तानी रहते थे वहाँ सब जगहोंमें हिन्दुस्तानी और गोरे जाग्रत हो गये ।

अध्याय ९

बोअर युद्ध

पिछले प्रकरण ध्यानपूर्वक पढ़नेपर पाठकोंने बोअर युद्धके समय दक्षिण आफ्रिकाके हिन्दुस्तानियोंकी स्थिति कैसी थी यह अवश्य समझ लिया होगा। हम यहांतक किये गये उनके प्रयत्नोंका वर्णन भी कर चुके हैं।

सन् १८९९ में डॉ० जेमिसनने सोनेकी खानोंके मालिकोंसे षड्यन्त्र करके जोहा- निसबर्गपर हमला किया था। वे आशा तो यही रखते थे कि बोअर सरकारको जोहा- निसबर्गपर अधिकार हो जानेके बाद ही हमलेका पता चलेगा। किन्तु डॉ० जेमिसन और उनके मित्रोंका यह अनुमान एक बड़ी भूल थी। उनका दूसरा अनुमान यह था कि यदि इस षड्यन्त्रका भेद खुल गया तो भी रोडेशियामें सीखे-सिखाये निशाने- बाजोंका सामना अनाड़ी बोअर किसान कैसे कर सकेंगे? वे यह भी समझते थे जोहानिसबर्ग नगरमें रहनेवाले लोगोंमें से अधिकांश तो उनका स्वागत ही करेंगे । भोले डाक्टरका ऐसा अनुमान लगाना खालिस भूल थी । राष्ट्रपति क्रूगरको ठीक समयपर षड्यन्त्रका पता चल गया था। उन्होंने अत्यन्त शान्तिपूर्वक चतुराईसे और छुपे-छुपे डॉ० जेमिसनका सामना करनेकी तैयारी की और साथ ही षड्यंत्र में सम्मिलित लोगोंको गिरफ्तार करनेकी व्यवस्था भी । इसलिए डॉ० जेमिसनके जोहानिसबर्गके पास पहुँचनेसे पहले ही बोअर सेनाने गोलियोंसे उनका स्वागत किया। इस सेनाके सम्मुख डॉ० जेमि- सनकी टुकड़ीके पैर उखड़ गये। जोहानिसबर्ग में भी कोई विरोधमें खड़ा न हो सके, इसकी भी बोअरोंने पूरी तैयारी कर ली थी। इसलिए शहरमें किसीने सिर नहीं उठाया। राष्ट्रपति क्रूगरकी आनन-फानन कार्रवाईसे जोहानिसबर्गके करोड़पति दंग रह गये। इतनी अच्छी तैयारीका बहुत ही सुन्दर परिणाम यह निकला कि लड़ाईमें अधिक खर्च नहीं आया और खून-खराबी भी कमसे-कम हुई ।

१. १८९५ में; देखिए वॉकरकी हिस्ट्री ऑफ साउथ आफ्रिका, पृ४४५५ ।

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