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३९. प्रार्थनापत्र : चेम्बरलेनको
डर्बन
 
[ मई २७ के पूर्व ], १८९९
 

सेवामें

परम माननीय जोजेफ़ चेम्बरलेन

मुख्य उपनिवेश-मन्त्री

सम्राज्ञी-सरकार

दक्षिण आफ्रिकी गणराज्य-स्थित प्रिटोरिया नगरवासी निम्न हस्ताक्षरकर्ता जॉन फ्रेजर पार्करका प्रार्थनापत्र

नम्र निवेदन है कि,

प्रार्थी जन्मतः ब्रिटिश प्रजा है और दक्षिण आफ्रिकी गणराज्यके प्रिटोरिया नगरमें निवास करता है।

प्रार्थीने ट्रान्सवाल-सरकारकी नवीनतम सूचना ध्यानसे पढ़ी है, जिसमें भारतीयों तथा अन्य रंगदार लोगोंको १ जुलाईको, या उसके पहले, पृथक् बस्तियोंमें हट जानेका आदेश दिया गया है। तथापि, सूचनामें कहा गया है कि सरकार उन लोगोंके साथ नर्मीके साथ पेश आ सकती है, जिनके पास लम्बी अवधिके पट्टे है।

प्रार्थीके प्रिटोरियामें दस मकान है। ये मिल्क मुतलक जमीनपर बने हुए हैं। ये मकान प्रार्थीने केपके दस रंगदार व्यक्तियोंको, जिन्हें साधारणतः “केप बॉएज़" [ केपके छोकरे ] कहा जाता है, किरायेपर दे रखे हैं। इससे प्रार्थीको २० पौंड माहवार किराया मिलता है।

प्रार्थीके पास प्रिटोरियामें एक जमीनका पट्टा है। जमीन प्रिन्सल स्ट्रीट कहलानेवाली गलीमें है और पट्टे की अवधि अभी ८॥ वर्ष बाकी है। प्रार्थीने इस जमीनपर लकड़ी और टीनकी चादरोंके मकान बनाये है, जैसे कि ट्रान्सवालमें और दक्षिण आफ्रिकाके अन्य भागोंमें साधारणतः बनाये जाते हैं। मकानोंकी कीमत ४,५०० पौंडसे ऊपर है।

पट्टेकी उपर्युक्त सारी जायदादमें ब्रिटिश भारतीय किरायेदार रहते हैं। पट्टेकी बची हुई अवधिमें उनका किराया, वर्तमान दरके अनुसार, १९,३८० पौंड होगा। मिल्क मुतलक जमीनका मूल्य' इससे अलग है।

प्रार्थीको भय है कि अगर ट्रान्सवालके वर्तमान भारतीय व्यापारियों या उनके व्यापा- रिक उत्तराधिकारियोंपर उक्त सूचनाका असर पड़ने दिया गया तो उससे प्रार्थीको बहुत हानि होगी और सम्भव है कि प्रार्थी अपनी आयके मुख्य साधनसे वंचित हो जाये। प्रार्थीका लन्दन-समझौतेकी १४वीं धारापर पूरा भरोसा रहा है। इसलिए वह हमेशा मानता रहा कि इन ब्रिटिश प्रजाजनोंकी स्थिति एकदम सुरक्षित है। प्रार्थीने यह भी देखा कि भारतीय उतने ही ब्रिटिश प्रजा है, जितने कि कोई भी दूसरे लोग। इसलिए उसकी न्याय- भावनाने, ट्रान्सवालके ब्रिटिश भारतीयोंकी हैसियतके बारेमें पंच-फैसले' और हालके परीक्षात्मक

१. देखिए, खण्ड १, पृष्ठ १७७-८ और १८९-२११ ।


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