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सम्पूर्ण गांधी वाङमय

मुकदमे के बावजूद, यह स्वीकार नहीं किया कि जो ब्रिटिश भारतीय पहलेसे ही जमे हुए है उन्हें हटाया जा सकता है, या हटाया जायेगा।

ट्रान्सवालके भारतीयोंके साथ प्रार्थीका अपना अनुभव बहुत ही सुखकर है। प्रार्थी उन्हें सबसे अच्छे किरायेदार मानता है, जिन्होंने हमेशा नियमित रूपसे और बिना हीला-हवाला किये किराया दिया है। आपके प्रार्थीकी रायमें वे विनम्र, शीलवान और बहुत ही अच्छे बरताव- वाले लोग हैं। वे कानूनका पालन करनेवाले हैं, और जिस देश में भी जायें वहाँके कानूनोंके अनुसार चलनेको राजी और तत्पर रहते हैं। उनकी आदतें स्वच्छ हैं और वे अपनी दूकानों और मकानोंको साफ-सुथरा रखते हैं। उनके घरोंके अहाते अनेक यूरोपीयोंके अहातोंकी तुलनामें अच्छे ठहरेंगे। उनका, अर्थात् व्यापारी-वर्गका, दारूसे परहेज लोकप्रसिद्ध है। प्रार्थीकी रायमें, हम अखबारों में हमेशा ही अज्ञानी और अधिकतर गुमनाम लेखकों द्वारा लगाये गये जो अनैतिक और गन्दगीके आरोप देखते रहते हैं, वे उनके प्रति एकदम अन्यायपूर्ण हैं। पिछले दस वर्षोंसे लगातार उनकी जो नुक्ताचीनी की जाती रही है उसे उन्होंने धैर्यके साथ सहा है। उनका यह धैर्य एक ब्रिटेनवासीके लिए तो सर्वथा आश्चर्यजनक है, या ऐसा मालूम तो होगा ही।

केपके रंगदार लोगोंपर भी उक्त सूचनाका असर पड़ता है और वे भी प्रार्थीके उतने ही महत्त्वपूर्ण किरायेदार हैं। वे गाड़ीवान या चुरुट बनानेवाले आदि हैं और उन्होंने यूरोपीय तौर-तरीके अख्तियार कर लिये है।

प्रार्थीकी नम्र रायमें, ट्रान्सवालमें किसी व्यक्तिपर निर्योग्यताओंके मढ़े जानेका कारण यह होता है कि वह ब्रिटिश प्रजा है। अगर वह ब्रिटिश प्रजा न हो तो ये निर्योग्यताएँ नहीं मढ़ी जायेंगी। पोर्तुगालके राजाकी भारतीय प्रजाएँ परवाने रखने और उन सब अधिकारोंका उपभोग करने के लिए स्वतंत्र हैं, जिनका उपभोग साधारणतः ट्रान्सवालके अन्य निवासी करते हैं।

प्रार्थीका निवेदन है कि, जहाँतक प्रिटोरियाका सम्बन्ध है, आज भी अधिकतर भारतीयोंको यूरोपीयोंसे अलग ही रखा गया है। सिर्फ उनका व्यापार नष्ट नहीं किया गया और उन्हें अपमानकी स्थितिमें नहीं डाला गया। अब अगर उन्हें पृथक् बस्तियोंमें रख दिया गया तो यह भी जरूर होकर रहेगा। प्रिन्सलू स्ट्रीटका व्यापारिक हिस्सा करीब-करीब पूरा ही भारतीय व्यापारियोंसे आबाद है। और यह स्ट्रीट प्रिटोरियाकी मुख्य सड़क चर्च स्ट्रीटके बीचसे गुजरती है। अगर प्रश्न सिर्फ यह हो कि अधिक देखरेख रखने के उद्देश्यसे भारतीयोंको यूरोपीयोंसे अलग करके किसी एक स्थानपर एकत्र कर दिया जाये तो, स्वच्छताके हितमें, सरकार इसी जगह जैसा चाहे वैसा नियन्त्रण रख सकती है। चर्च स्ट्रीटमें पाये जाने वाले इने-गिने भारतीय व्या- पारियोंका कारोबार इतना बड़ा है और वे अपनी दुकानों और अहातोंको इतनी अच्छी हालतमें रखते हैं कि, प्रार्थीकी नम्र रायमें, उन्हें अस्तव्यस्त करना एक दुराग्रहपूर्ण अन्याय होगा। बेशक ऐसा अन्याय तो दूसरे भी सब मामलोंमें होगा ही, सिर्फ उसका असर इतना विनाशकारी न होगा, जितना कि चर्च स्ट्रीटके उन व्यापारियोंके मामलोंका, जिनके दीर्घ कालसे जमे हुए व्यापारने उनकी स्थितिको बहुत अधिक व्यापारिक महत्त्व प्रदान कर दिया है।

प्रार्थीने उस पृथक् बस्तीको देखा है जो भारतीयोंके उपयोगके लिए तय की गई है। उसमें भारतीयोंको, जो निस्सन्देह काफिर जातिके लोगोंसे बेहद बेहतर हैं, उनके बिलकुल निकट रहना पड़ेगा। उसकी ऊपरकी ओर कुछ दूरपर एक खाई है। उसमें छावनीकी तमाम


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