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४०. पत्र: विलियम वेडरबर्नको'
१४, मयुरी लेन
 
डर्बन
 
मई २७,१८९९
 

श्रीमन्,

मैं इसके साथ ट्रान्सवालके ब्रिटिश भारतीयोंके एक प्रार्थनापत्रकी नकल भेजनेकी धृष्टता कर रहा हूँ। प्रार्थनापत्र ट्रान्सवाल सरकार द्वारा निकाली गई नवीनतम सूचनासे उत्पन्न भार- तीयोंकी स्थितिसे सम्बन्ध रखता है। सूचना द्वारा उस देशके भारतीयों को आदेश दिया गया है कि वे इसी वर्ष १ जुलाईको या उसके पूर्व पृथक् बस्तियों में हट जायें।

सूचनासे मालूम होगा कि सरकार भारतीयोंको जो पृथक् बस्तियोंमें हटाना चाहती है, उसका हेतु स्वच्छताकी रक्षा है। तो फिर, क्या उपनिवेश-सचिवसे यह मांग करना अनुचित होगा कि वे भारतीयोंके पृथक् बस्तियोंमें हटाये जाने के पहले यह देख लें कि स्वच्छता-सम्बन्धी कारण मौजूद है भी या नहीं? मेरी नम्र रायमें प्रार्थनापत्रमें यह साबित करने के लिए काफी प्रमाण है कि सरकारने जो कार्रवाइयाँ करनेका विचार किया है उनके लिए स्वच्छता- सम्बन्धी कोई कारण मौजूद नहीं हो सकते ।

डचेतर यूरोपीयों (एटलांडर्स) की शिकायतें, जिन्होंने सारी दुनियाका ध्यान आकर्षित किया है और जिनसे आजकल प्रमुख समाचारपत्रोंके कालमके कालम भरे रहते हैं, मेरा निवेदन है, ट्रान्सवाल तथा दक्षिण आफ्रिकाके अन्य भागोंके ब्रिटिश भारतीयोंकी शिकायतों की तुलनामें तुच्छ है। तो फिर, क्या इंग्लैंडवासी हमददियों और भारतीय जनतासे यह मांग करना बहुत ज्यादा होगा कि वे इस अतीव महत्त्वपूर्ण प्रश्न की ओर (महत्त्वपूर्ण इसलिए कि वह, जहाँतक भारतके बाहर प्रवासका सम्बन्ध है, सारे भारतके भविष्यपर असर डालनेवाला है) अधिकसे अधिक ध्यान दें?

इस पत्रमें जिस प्रार्थनापत्रका उल्लेख किया गया है, वह प्रिटोरिया-स्थित ब्रिटिश एजेंटके हाथों में है। परन्तु जबतक उच्चायुक्त और गणराज्यके अध्यक्षके बीच होनेवाली मन्त्रणाका, जिसमें भारतीयोंके प्रश्नपर विचार-विमर्श होगा, नतीजा न निकल आये तबतकके लिए प्रार्थनापत्रको श्री चेम्बरलेनके पास भेजना रोक रखा गया है। यह भी हो सकता है कि वह उनके पास भेजा ही न जाये । परन्तु चूंकि इस मामले में समयका महत्त्व अधिकतम है, इसलिए प्रार्थनापत्र भेज देने में ही बुद्धिमत्ता समझी गई। अन्यथा, यह डर था कि कहीं उपर्युक्त वार्ताएँ निष्फल न हो जायें।

इसी विषयपर प्रिटोरियाके श्री पार्करके प्रार्थनापत्रकी एक नकल भी इसके साथ भेजी जा रही है। श्री पार्कर जन्मतः ब्रिटिश प्रजा है। उनका प्रार्थनापत्र सम्बद्ध प्रश्नपर बहुत-कुछ प्रकाश डाल सकता है।

आपका आज्ञाकारी सेवक,
 
मो०क०गांधी
 

[ अंग्रेजीसे]

कलोनियल ऑफ़िस रेकर्ड्स, सी० ओ० ४१७-१८९९, जिल्द २०, पार्लमेंट ।

१. यह पत्र छपा हुमा था। और, स्पष्टतः, लेड तथा भारतके प्रमुख लोकसेवकोंको भेजा गया था।


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